डीएनए हिंदी: उत्तरखंड के जोशीमठ (Joshimath Sinking) में जमीन धंसने और दरारें आने की घटनाओं से डर का माहौल है. करीब 603 घरों में दरारें आ चुकी हैं. लोग डर की वजह के घरों को छोड़कर चले गए हैं. इस बीच जोशीमठ के संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर की गई है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि यह घटना बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण हुई है. इसलिए उत्तराखंड के लोगों को तत्काल आर्थिक सहायता और मुआवजा दिया जाना चाहिए.
याचिका में कहा गया, ‘मानव जीवन और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की आवश्यकता नहीं है और अगर ऐसा कुछ भी हो रहा है तो यह राज्य और केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि इसे तुरंत रोका जाए.’ जोशीमठ, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग डेस्टिनेशन औली का एंट्री द्वार, भूमि धंसने के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है.
जोशीमठ धीरे-धीरे दरक रहा है और घरों, सड़कों और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं और स्थानीय लोगों का कहना है कि इसमें कई घर धंस गए हैं. जोशीमठ हिमालय क्षेत्र के अंतर्गत उत्तराखंड का 'गढ़वाल हिमालय' में 1890 मीटर की ऊंचाई पर बसा एक छोटा सा शहर है. यहां 20,000 से ज्यादा लोगों की आबादी है.
600 से ज्यादा परिवारों का रेस्क्यू
जोशीमठ से करीब 600 प्रभावित परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है. रेस्क्यू किए गए लोगों के रहने के लिए अस्थाई शिविर बनाए गए हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए शनिवार को जोशीमठ का दौरा किया. मुख्यमंत्री ने उन घरों का भी दौरा किया, जिनकी दीवारों और छत में चौड़ी दरारें आ गई हैं.
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