डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट )Supreme Court) और हाई कोर्ट्स जजों की कमी से जूझ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में कोरोनाकाल के दौरान एक भी जज की नियुक्ति नहीं की गई जबकि देश के 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 454 पद खाली पड़े हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट में हर साल 8-10 जजों की नियुक्ति होती थी पर कोरोनाकाल में एक भी पद नहीं भरे गए. कानून मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल जजों के रिक्त पदों पर 10 फीसदी से भी कम नियुक्तियां हो पाई हैं.
इलाहाबाद हाई कोर्ट में जजों के सबसे ज्यादा पद रिक्त
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के सर्वाधिक 83 पद खाली हैं. इस न्यायालय में न्याधीशों की अधिकृत संख्या 160 है लेकिन मौजूदा समय में सिर्फ 77 न्यायाधीश ही काम कर रहे हैं. मुश्किल यह हो रही है कि यहां आपराधिक अपीलों की सुनवाई का नंबर ही नहीं आ रहा है. केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया था कि वर्ष 2018 में उच्च न्यायालयों में 108 जजों की नियुक्ति की गई थी जबकि 2020 में सिर्फ 66 जजों की नियुक्त की गई. उन्होंने यह भी बताया कि इनके सबआॅर्डिनेट कोर्ट्स में 5,132 जजों के पद खाली हैं.
कॉलेजियम ने भेजे थे 100 से ज्यादा जजों के नाम पर
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने पिछले माह हाईकोर्ट के लिए 100 से ज्यादा नाम केंद्र सरकार को भेजे हैं. हालांकि केंद्र सरकार ने कुछ ही नामों पर अपनी मंजूरी दी है. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के जज व मुख्य न्यायाधीशों के ट्रांसफर को मंजूरी देकर आठ जजों को सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नति और नियुक्ति दे दी.
दिल्ली हाई कोर्ट में 29 पद खाली
दिल्ली उच्च न्यायालयों में जजों के 60 पद अधिकृत हैं लेकिन यहां सिर्फ 31 जज ही अपनी सेवा दे रहे हैं. वहीं पटना हाईकोर्ट में 52 अधिकृत पद हैं लेकिन यहां सिर्फ 34 जज ही अपना काम कर पा रहे हैं. इसके अलावा गुवाहटी और मद्रास हाईकोर्ट में नौ न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई है.