डीएनए हिंदी: दिल्ली के कंझावला मामले (Kanjhawala Case) में गृह मंत्रालय ने बड़ा एक्शन लिया है. मंत्रालय (Home Ministry) ने घटना वक्त मौजूद पीसीआर वैन में तैनात सभी पुलिस कर्मियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने का निर्देश दिया है. जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि वारदात के दिन घटनास्थल के आसपास 3 पुलिस PCR और दो पिकेट पर पुलिसकर्मी तैनात थे. इसके अलावा गृह मंत्रालय ने इलाके के डीसीपी को भी तलब किया है.
जानकारी के मुताबिक, इस मामले में दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को गृह मंत्रालय में जांच रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट मिलने के बाद मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को यह महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं. बताया जा रहा कि MHA घटना के वक्त पीसीआर और पिकेट पर मौजूद पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. साथ ही मंत्रालय ने डीसीपी से स्पष्टीकरण मांगा है कि वारदात की रात इलाके में कानून व्यवस्था के क्या इतंजाम थे.
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1 जनवरी की रात हुई थी वारदात
मंत्रालय की ओर से अजंली केस में शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ जल्द से जल्द फास्ट ट्रायल के लिए कहा गया है. गौरतलब है कि आरोपियों ने 1 जनवरी 2023 की रात अंजलि सिंह के स्कूटी को टक्कर मारने के बाद उसे सुल्तानपुरी से कंझावला तक करीब 12 किलोमीटर तक घसीटते हुए ले गए थे. घटना में युवती की मौत हो गई थी.
अदालत ने आरोपी आशुतोष भारद्वाज की जमानत अर्जी की खारिज
वहीं, दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को इस कांड के आरोपी आशुतोष भारद्वाज की जमानत अर्जी खारिज कर दी. मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सान्या दलाल ने कहा कि अपराधों की गंभीरता को देखते हुए, जांच प्रारंभिक स्तर पर होने के तथ्य पर विचार करते हुए अदालत जमानत देने की पक्षधर नहीं है. अतिरिक्त सरकारी अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि भारद्वाज ने यह कहकर जांच को भटकाने का प्रयास किया कि सह-आरोपी दीपक कार चला रहा था. उन्होंने कहा, ‘‘जानकारी होना और बाद में पता चलना दोनों में अंतर की एक बारीक रेखा है. हम मामले में जांच कर रहे हैं.
श्रीवास्तव ने दलील दी गई कि जब आशुतोष आजाद था तो उसने जांच को भटकाने की कोशिश की. वह भविष्य में फिर से गुमराह कर सकता है. अभियोजन के अनुसार आरोपी ने यह गलत दावा किया था कि सह-आरोपी दीपक खन्ना कार चला रहा था, जबकि जांच के दौरान सामने आया कि एक अन्य आरोपी अमित गाड़ी चला रहा था. भारद्वाज के आचरण के बारे में सवाल उठाते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि आरोपी पुलिस को सूचित करने के लिए कानूनन बाध्य था, लेकिन बजाय इसके उसने अभियोजन को गुमराह किया
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