Job Reservation: हरियाणा की तर्ज पर चला ये राज्य, अपने लोगों को देगा नौकरियों में ऐसा आरक्षण कि भड़क गए उद्योगपति

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Jul 17, 2024, 03:37 PM IST

Karnataka Job Reservation: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अपने यहां की सभी निजी कंपनियों में ग्रुप-सी और ग्रुप-डी के पदों पर स्थानीय कन्नडिगा युवाओं को 100 फीसदी आरक्षण देने का बिल पास किया है.

Karnataka Job Reservation: देश में आरक्षण पर चल रही बहस के बीच कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने ऐसा कदम उठा दिया है, जिससे वहां के उद्योगपति भड़क गए हैं. मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने एक बिल पारित किया है, जिसमें कर्नाटक की सभी निजी कंपनियों के लिए अपने यहां ग्रुप-सी और ग्रुप-डी के पदों पर 100 फीसदी स्थानीय कन्नडिगा युवाओं की भर्ती करना अनिवार्य कर दिया गया है. यह फैसला सोमवार को लिया गया. इसके साथ ही भाजपा शासित हरियाणा के बाद कर्नाटक दूसरा राज्य बन गया है, जिसने निजी कंपनियों में भी आरक्षण लागू किया है. हालांकि हरियाणा ने अगले 10 साल के लिए निजी कंपनियों में 75 फीसदी पद ही स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित करने का कानून बनाया है, जबकि कर्नाटक में यह आरक्षण 100 फीसदी कर दिया गया है. कर्नाटक के उद्योगपतियों ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि इससे राज्य में काम-धंधे प्रभावित होंगे और उन्हें अपने बिजनेस शिफ्ट करने पड़ सकते हैं.

गुरुवार को विधानसभा में रखा जाएगा बिल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि राज्य कैबिनेट ने अपने यहां सभी प्राइवेट इंडस्ट्रीज में ग्रुप सी और ग्रुप-डी के पदों पर स्थानीय युवाओं को 100 फीसदी आरक्षण देने का बिल मंजूर किया है. हम कन्नड़ समर्थक सरकार हैं. हमारी प्राथमिकता कन्नडिगा का कल्याण है. राज्य सरकार के लॉ डिपार्टमेंट के सूत्रों के मुताबिक, कर्नाटक स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडीडेट्स इन द इंडस्ट्रीज, फैक्ट्रीज एंड अदर एस्टेब्लिशमेंट्स बिल 2024 गुरुवार को विधानसभा में पेश किया जाएगा.

क्या है कर्नाटक सरकार का कानून

  • हर फैक्ट्री, इंडस्ट्री या अन्य एस्टेब्लिशमेंट को मैनेजमेंट कैटेगरी में 50 फीसदी स्थानीय युवा रखने होंगे.
  • हर फैक्ट्री, इंडस्ट्री या अन्य एस्टेब्लिशमेंट को नॉन-मैनेजमेंट कैटेगरी में 70 फीसदी स्थानीय युवा रखने होंगे.
  • यदि किसी कैंडीडेट के सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट में कन्नड़ भाषा शामिल नहीं है तो उन्हें तय नोडल एजेंसी का टेस्ट पास करना होगा.
  • यदि फिलहाल स्थानीय स्किल्ड युवा उपलब्ध नहीं है तो कंपनियों को 3 साल की छूट दी जाएगी.
  • कंपनियों को 3 साल में सरकार या उसकी एजेंसियों से समझौता कर स्थानीय युवाओं को ट्रेनिंग देनी होगी.
  • यदि पर्याप्त संख्या में स्थानीय युवा उपलब्ध नहीं होते हैं तो कंपनियां कानूनी प्रावधानों से छूट के लिए अप्लाई कर सकती हैं.
  • छूट के बावजूद मैनेजमेंट कैटेगरी में कम से कम 25 फीसदी और नॉन-मैनेजमेंट में 50 फीसदी स्थानीय युवा रखना अनिवार्य होगा.
  • कानून की अवहेलना करने वाली कंपनी या अधिकारी पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान रखा गया है.

क्या कह रहे हैं उद्योगपति

कर्नाटक सरकार के निजी कंपनियों में आरक्षण लागू करने का उद्योगपतियों ने विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि राज्य में पर्याप्त संख्या में स्किल्ड युवा उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में उद्योग-धंधे प्रभावित होंगे, जिसका असर राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर पर पड़ेगा. मशहूर बिजनेसमैन मोहनदास पाई ने कहा,'यदि सरकार कन्नडिगा को नौकरियों के लिए आगे बढ़ाना चाहती है तो उसे उच्च शिक्षा पर ज्यादा खर्च करना चाहिए. उन लोगों को ट्रेनिंग देनी चाहिए. उनके स्किल डवलपमेंट पर ज्यादा पैसा खर्च करना चाहिए. इंटर्नशिप्स और अप्रेंटिसशिप्स पर ज्यादा पैसा खर्च करना चाहिए. इससे वे सभी स्किल्ड बनेंगे. इस तरह से नहीं. आप इससे क्या हासिल करना चाहते हैं?'

स्वर्णा ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. ची. वीएसवी प्रसाद ने कहा,'कर्नाटक में कर्मचारियों की इतनी कमी है कि कुशल या अकुशल कर्मचारी मिलना हमारे लिए बहुत मुश्किल हो रहा है क्योंकि वे काम नहीं करना चाहते हैं. उन्हें सरकार की तरफ से सारी सुविधाएं और सारी सहायता मिल रही है. वे घर में बैठ सकते हैं और वे अपने जीवन का आनंद ले सकते हैं, वे अपना जीवन जी सकते हैं, तो इन परिस्थितियों में, इस तरह के प्रतिबंध रखने से अंततः सभी बुनियादी ढांचे की परियोजनाएं बंद हो जाएंगी और अगर बुनियादी ढांचे और उद्योगों पर ऐसी बाध्यताएं थोपी गईं तो उद्योग भी बंद हो जाएंगे. इसलिए मेरा विचार यह होगा कि हमारी सरकार को ग्रुप सी और डी कन्नड़ लोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए. लेकिन, अगर हमें नहीं मिलता है, तो आपके पास क्या विकल्प है?' 

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