डीएनए हिंदी: High Court News- कर्नाटक हाई कोर्ट ने देश के प्रधानमंत्री को गाली देने या उनके खिलाफ अभद्र शब्दों का प्रयोग करने को लेकर बड़ा फैसला दिया है. हाई कोर्ट ने कहा है कि पीएम को गाली देना अभद्रता और गैरजिम्मेदाराना है, लेकिन यह राजद्रोह का पैमाना नहीं हो सकता. इस फैसले के साथ ही हाई कोर्ट ने एक स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ चल रहा राजद्रोह का केस खारिज कर दिया है. कर्नाटक हाई कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कमेंट्स को लेकर मुश्किलों में घिरे हुए हैं. राहुल गांधी को मोदी उपनाम मामले (Modi Surname Case) में सूरत की सेशन कोर्ट दो साल की सजा सुना चुकी है, जिसे गुजरात हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा है.
'पीएम को चप्पल से मारना चाहिे' कमेंट पर बोली कर्नाटक हाई कोर्ट
कर्नाटक हाई कोर्ट की कलबुर्गी बेंच के जस्टिस हेमंत चंदनगोदार ने फैसले में कहा, प्रधानमंत्री को चप्पल से मारना चाहिए जैसे अपशब्द कहना न केवल अपमानजनक है बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है. सरकारी नीति की रचनात्मक आलोचना होनी चाहिए, लेकिन किसी ऐसे पॉलिसी डिसीजन के लिए संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों का अपमान नहीं किया जा सकता, जिस पर किसी वर्ग को आपत्ति हो.
हिंसा भड़काने के लिए नाटक आयोजन की कल्पना का आधार नहीं
हाई कोर्ट ने कहा, आरोप है कि बच्चों की तरफ से पेश नाटक में सरकार के कई अधिनियमों की आलोचना की गई थी. यह कहा गया कि यदि इन अधिनियमों को लागू किया जाता है तो मुसलमानों को देश छोड़ना पड़ सकता है. हाई कोर्ट ने कहा, नाटक स्कूल परिसर के भीतर खेला गया था. बच्चों ने लोगों को हिंसा के लिए उकसाने या सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने के लिए कोई शब्द नहीं बोले थे. नाटक के बारे में लोगों को तब पता चला, जब आरोपियों में से एक ने उसका वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर कर दिया. ऐसे में यह कल्पना करने का कोई आधार नहीं है कि नाटक का आयोजन लोगों को हिंसा के लिए भड़काने के उद्देश्य से किया गया था.
दो समुदायों के बीच घृणा भड़काने का आरोप गलात
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में बीदर के न्यू टाउन पुलिस स्टेशन में दर्ज वह FIR खारिज कर दी है, जिसमें बीदर के शाहीन स्कूल की मैनेजमेंट के अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल इनामदार और मोहम्मद मेहताब व अन्य सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाया गया था. हाई कोर्ट ने कहा, इस मामले में IPC की धारा 153 (A) लगाए जाने का औचित्य नहीं दिख रहा है. यह धारा तब इस्तेमाल होती है, जब दो धार्मिक समुदायों के बीच घृणा पैदा करने का आरोप हो. साथ ही आवश्यक तथ्यों की गैरमौजूदगी में IPC की धारा 124A (देशद्रोह) और धारा 505 (2) के तहत FIR दर्ज करना भी अस्वीकार्य है.
क्या था पूरा मामला
कर्नाटक के बीदर में 21 जनवरी, 2020 को शाहीन स्कूल में बच्चों के एक नाटक का आयोजन किया गया था, जिसमें कक्षा 4, 5 और 6 के स्टूडेंट्स ने भाग लिया था. यह नाटक नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के विरोध में आयोजित किया गया था. इस नाटक के आयोजन के जरिये हिंसा भड़काने, प्रधानमंत्री को गाली देने और देशद्रोही बातें करने का आरोप अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता नीलेश रक्षाला ने लगाया था और पुलिस को शिकायत दी थी. इसके बाद पुलिस ने स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था.
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