'भारत माता की जय कहना क्या हेट स्पीच है?' Karnataka High Court ने क्यों लगाई पुलिस को फटकार

कुलदीप पंवार | Updated:Sep 27, 2024, 07:37 PM IST

Court Hammer (Representational Photo)

Karnataka News: इस साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार शपथ ग्रहण करने से जुड़े समारोह से लौटते समय नारेबाजी करने पर 5 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था.

Karnataka News: 'क्या भारत में भारत माता की जय बोलना अपराध या हेट स्पीच है?' यह सवाल कर्नाटक हाई कोर्ट ने पुलिस को करारी फटकार लगाते हुए किया है. हाई कोर्ट ने साफ कहा कि भारत माता की जय का नारा लगाना किसी भी तरीके से हेट स्पीच की कैटेगरी में नहीं आता है. हाई कोर्ट ने इसी के साथ IPC (अब BNS) की धारा 153A के तहत 5 लोगों के खिलाफ इस साल जून में दर्ज मुकदमा खारिज कर दिया. इस मुकदमे में कर्नाटक पुलिस ने पांचों को दो समुदायों के बीच घृणा भड़काने का आरोप लगाने का आरोपी बनाया था.

पीएम मोदी के शपथ ग्रहण वाले दिन हुई थी घटना

इस साल 9 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार शपथ ग्रहण करने की खुशी में भाजपा ने जगह-जगह समारोह आयोजित किए थे. ऐसे ही एक समारोह से लौटते समय 5 लोग 'भारत माता की जय' का नारा लगा रहे थे. इसके चलते उन पर एक खास समुदाय के लोगों ने हमला कर दिया और चाकू भी मारकर घायल किया था. जब पांचों लोग इस बात की शिकायत लेकर कर्नाटक पुलिस (Karnataka Police) के पास पहुंचे तो उनके ही खिलाफ IPC की धारा 153A (धार्मिक आधार पर दो समुदायों के बीच घृणा बढ़ाना) समेत कई धाराओं में FIR दर्ज कर ली थी. पुलिस का कहना है कि यह FIR एक मुस्लिम व्यक्ति की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है, जिसने नारे लगाने वालों पर उसे धमकी देने का आरोप लगाया है.

'केस की जांच करना मतलब भारत माता की जय के नारे की जांच करना'

कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) के जस्टिस एम. नागाप्रसन्ना की बेंच ने इस केस की सुनवाई की. जस्टिस नागाप्रसन्ना ने पांचों आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया. उन्होंने FIR खारिज करते हुए कहा कि इस केस में धारा 153A लागू करने के लायक एक भी तथ्य नहीं है. बेंच ने कहा, 'पुलिस की तरफ से पेश तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यदि इस केस में जांच की अनुमति दी जाती है तो ये पहली नजर में भारत माता की जय के नारे लगाने की जांच को मंजूर करना होगा. यह नारा किसी भी तरह से धर्मों के बीच दुश्मनी बढ़ाने वाला नहीं हो सकता है.' 

यह कहकर लगाई पुलिस को फटकार

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस नागाप्रसन्ना ने इसके बाद पुलिस को यह कहते हुए करारी फटकार लगाई कि उन्हें यह मामला देखना चाहिए था. बेंच ने कहा,'यह मामला स्पष्टतौर पर उस शिकायत का काउंटरब्लास्ट था, जो याचिकाकर्ताओं (पीड़ितों) ने अपने साथ मारपीट होने के बाद दर्ज कराई थी.'

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