Karnataka हाई कोर्ट से तमिलनाडु सरकार को बड़ा झटका, जयललिता के आभूषण नहीं सौंपे जाएंगे

अभिषेक शुक्ल | Updated:Mar 06, 2024, 02:00 PM IST

AIADMK की पूर्व प्रमुख जयललिता की 5 दिसंबर 2016 को मौत हो गई थी.

कर्नाटक हाई कोर्ट ने जयललिता के आभूषणों को तमिलनाडु सरकार को सौंपने की प्रक्रिया पर ही रोक लगा दी है. आइए जानते हैं क्यों.

कर्नाटक (Karnataka) हाई कोर्ट (High Court) ने तमिलनाडु (Tamilnadu) की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे जयललिता (Jayalalithaa) के सोने और हीरे के आभूषणों को तमिलनाडु सरकार को सौंपने की प्रक्रिया पर 26 मार्च तक रोक लगा दी है. 

मंगलवार को जयललिता की भतीजी जे दीपा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मोहम्मद नवाज की सिंगल जज बेंच ने इस प्रक्रिया पर रोक लगाई है. 

अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIDMK) की दिवंगत नेता जे जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनका कीमती सामान जब्त कर लिया गया था.

 


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क्यों कोर्ट ने लिया है ये फैसला?
तमिलनाडु (Tamil Nadu) की एक विशेष अदालत के निर्देश के अनुसार बुधवार से सोने और हीरे के आभूषणों को तमिलनाडु सरकार (Tamilnadu Government) को सौंपा जाना था. याचिकाकर्ता ने 12 जुलाई, 2023 के विशेष अदालत के आदेश को चुनौती दी थी. 

याचिकाकर्ता ने कहा था कि दिवंगत जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में बरी माना जाना चाहिए क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने भी उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. 

गहनों को लेकर कोर्ट तक क्यों पहुंचा केस?
विशेष अदालत ने अपने निर्देश में कहा था कि 27 किलोग्राम के सोने और हीरे के आभूषणों को छह और सात मार्च को तमिलनाडु सरकार को सौंप दिया जाना चाहिए. ये सामग्री मामले में जयललिता और अन्य के खिलाफ साक्ष्य हैं. 


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अदालत ने 20 किलोग्राम सोने और हीरे के आभूषणों को बेचने या नीलाम करने की अनुमति दी थी, शेष सात किलोग्राम को अदालत ने इस तथ्य पर विचार करते हुए छूट दे दी थी कि यह उन्हें अपनी माता से विरासत में मिला था. 

कहां रखा है जयललिता का जेवर?
अदालत ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार इन सोने और हीरे के आभूषणों के निपटान पर आवश्यक कार्रवाई करेगी. उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर इस मामले की सुनवाई कर्नाटक में हुई और इसलिए सभी सामान अब न्यायालय की निगरानी में कर्नाटक के खजाने में हैं. 

तमिलनाडु सरकार को आभूषणों का हस्तांतरण किये जाने का आदेश देते हुए विशेष अदालत के न्यायाधीश ने कहा था, गहनों की नीलामी करने के बजाय, उन्हें तमिलनाडु सरकार को सौंपना बेहतर है.

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