Karnataka Hijab Row: मुस्कान खान ने आखिर क्यों लगाए 'अल्लाह हू अकबर' के नारे? यहां देखिए पूरा इंटरव्यू

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 11, 2022, 04:06 PM IST

Karnataka Hijab Row Muskaan Khan explains why he raised Allah Hu Akbar slogans

मुस्कान खान ने कहा कि इस मामले को लेकर हिंदू-मुस्लिम नहीं किया जाना चाहिए. उसने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पर उसे पूरा भरोसा है.

डीएनए हिंदीः कर्नाटक से शुरू हुए हिजाब विवाद (Hijab Controversy) पर राजनीति लगातार बढ़ती जा रही है. कर्नाटक से शुरू हुआ मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई से इनकार कर दिया. देशभर में कई जगह इसे लेकर प्रदर्शन किए जा रहे हैं. इस मामले में कॉलेज के अंदर धार्मिक नारे लगाकर चर्चा में आई मुस्कान खान (Muskan Khan) का बयान भी सामने आया है. 

मुस्कान खान ने जी न्यूज से बातचीत में कहा कि वह कॉलेज में अपना असाइनमेंट जमा करने गई थी. जैसी ही वह कॉलेज पहुंची, कुछ छात्र उसे देख कर हिजाब उतारने को कहने लगे और जय श्री राम के नारे लगाने लगे. उसने कहा कि वह घर वापस लौटने लगी लेकिन छात्र लगातार नारेबाजी कर रहे थे. इसी बीच उसने भी 'अल्लाह हू अकबर' के नारे लगाए. प्रियंका गांधी और असदुद्दीन ओवैसी के उसके समर्थन में आने पर मुस्कान का कहना है कि वह छात्रा है और पढ़ाई ही करेगी. राजनीति में आने का उसका कोई इरादा नहीं है. उनसे कहा कि कॉलेज में प्रिंसिपल के लेकर स्टाफ तक सभी उसके साथ है. मुस्कान ने कहा कि इस मामले को लेकर हिंदू-मुस्लिम नहीं किया जाना चाहिए. उसने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पर उसे पूरा भरोसा है, कोर्ट उनकी भावनाओं का ध्यान रखेगा.  

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कौन है मुस्कान? 
कर्नाटक स्थित उडुपी जिले के मणिपाल में महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज में पढ़ने वाली इस लड़की का नाम मुस्कान है. सोशल मीडिया पर इसकी एक वीडियो वायरल हुई थी जिसमें यह 'जय श्री राम' के नारे लगा रहे छात्रों रक पलटकर अल्लाह हू अकबर के नारे लगाती है.  मुस्कान इस कॉलेज में बीकॉम की छात्रा है. 

सुप्रीम कोर्ट बोला- राष्ट्रीय मुद्दा ना बनाएं 
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कहा कि वह देख रहा है कि कर्नाटक में क्या हो रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों से कहा कि इसे राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा न बनाएं और वह उचित समय पर हस्तक्षेप करेगा. हिजाब मामले को धार्मिक और राजनीतिक न बनाएं.

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