Karnataka Hijab Row: जहां यूनिफॉर्म तय वहां पालन होना चाहिए- हाईकोर्ट

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 23, 2022, 06:28 PM IST

Hijab Controversy.

Hijab Row: कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि जिन शिक्षण संस्थानों में यूनिफॉर्म है वहां पर इसका पालन होना चाहिए.

डीएनए हिंदी: हिजाब मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट की तरफ से टिप्पणी की गई है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि जिन शिक्षण संस्थानों में यूनिफॉर्म है वहां पर पालन होना चाहिए. जी न्यूज के रिपोर्टर जय पाल शर्मा के अनुसार, कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जहां शिक्षण संस्थानों में यूनिफॉर्म का नियम है वहां यह छात्रों पर लागू होना चाहिए. टीचर्स पर यह लागू नहीं होगा.

बुधवार को कोर्ट में सुनवाई के लिए कॉलेज की तरफ से एसएस नागानंद ने पैरवी की. उन्होंने कहा कि 18 सालों से यूनिफॉर्म है इसे किसी ने चैलेंज नहीं किया. दिसंबर में इस मामले में CFI की एंट्री होती है और माहौल खराब होने लगता है. यह कहने को तो छात्र संगठन है लेकिन यह माहौल खराब कर रहा है. आपको बता दें कि मुख्य न्यायाधीश ऋतु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति जे एम खाजी और न्यायमूर्ति कृष्णा एम दीक्षित की पूर्ण पीठ कक्षा के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.

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हाईकोर्ट ने CFI की भूमिका के बारे में कर्नाटक सरकार से ब्योरा मांगा

हिजाब मामले की सुनवाई कर रहे कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) की भूमिका के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया. उल्लेखनीय है कि एक जनवरी को उडुपी के एक कॉलेज की छह छात्राएं तटीय शहर में सीएफआई द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शामिल हुई थी. इसका आयोजन कॉलेज प्रशासन द्वारा उन्हें कक्षाओं में हिजाब पहन कर प्रवेश करने देने से मना किए जाने के खिलाफ किया गया था.

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सरकारी पीयू कॉलेज फॉर गर्ल्स का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एस.एस. नगानंद, इसके प्राचार्य और एक शिक्षक ने बुधवार को उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ से कहा कि हिजाब विवाद सीएफआई से जुड़ी कुछ छात्राओं द्वारा शुरू किया गया था. इस पर मुख्य न्यायाधीश रीतुराज अवस्थी ने जानना चाहा कि सीएफआई क्या है और इसकी क्या भूमिका थी। पूर्ण पीठ में मुख्य न्यायाधीश अवस्थी, न्यायमूर्ति जे एम खाजी और न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित शामिल हैं.

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि संगठन राज्य में प्रदर्शनों का समन्वय एवं आयोजन कर रहा था। उन्होंने कहा, "यह एक स्वैच्छिक संगठन है, जो अपना प्रसार कर रहा है और छात्राओं (कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने की मांग कर रही) के पक्ष में समर्थन जुटा रहा है. एक अन्य वकील ने कहा कि सीएफआई एक कट्टरपंथी संगठन है, जिसे महाविद्यालयों से मान्यता प्राप्त नहीं है.

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