Hijab Row: घूंघट, चूड़ी, पगड़ी को छूट तो हिजाब पर सवाल क्यों? याचिकाकर्ता की कर्नाटक HC में दलील, आज फिर सुनवाई

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 17, 2022, 08:11 AM IST

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याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जब शिक्षण संस्थान यूनिफॉर्म बदलना चाहता है तो उसे छात्रों के माता-पिता को पहले नोटिस जारी करना पड़ता है. 

डीएनए हिंदीः कर्नाटक में स्कूल-कॉलेजों में हिजाब (Karnataka Hijab Row) पहनने को लेकर विवाद जारी है. हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम छात्राओं का पक्ष रख रहे वकील रवि वर्मा कुमार ने कहा कि ने पक्षपात का आरोप लगाया. वकील ने दलील दी कि स्कूल और कॉलेजों में हिंदू लड़कियां चूड़ी पहनती हैं, जबकि ईसाई लड़कियां क्रॉस पहनती हैं, पंजाबी पगड़ी पहनते हैं. आखिर उन्हें क्यों नहीं संस्थानों से बाहर भेजा जाता? इस मामले ने आज यानि गुरुवार को भी मामले की सुनवाई होगी. 

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सुनवाई के दौरान रवि कुमार ने कहा कि मैं केवल समाज के सभी वर्गों में धार्मिक प्रतीकों की विशाल विविधता दिखा रहा हूं. सरकार अकेले हिजाब को क्यों उठा रही है और यह शत्रुतापूर्ण भेदभाव कर रही है? चूड़ियां पहनी जाती हैं? क्या वे धार्मिक प्रतीक नहीं हैं? आप इन गरीब मुस्लिमों लड़कियों को क्यों निशाना बना रहे हैं? रवि वर्मा कुमार ने आगे कहा कि यह केवल उनके धर्म के कारण है कि याचिकाकर्ताओं को कक्षा से बाहर भेजा जा रहा है. एक बिंदी या चूड़ी पहनने वाली लड़की को बाहर नहीं भेजा जाता है. एक ईसाई क्रॉस पहने हुए को नहीं भेजा गया केवल इन लड़कियों को ही क्यों? यह संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है. 

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कर्नाटक एजुकेशन एक्ट का दिया हवाला 
रवि वर्मा कुमार ने हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की अधिसूचना को अवैध ठहराते हुए कहा है कि कर्नाटक एजुकेशन ऐक्ट में इस संबंध में प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि यदि बैन को लेकर कोई आदेश जारी किया गया है तो उस संबंध में छात्राओं के परिजनों को एक साल पहले ही इसकी जानकारी देनी थी. इसके लिए उन्होंने एजुकेशन एक्ट का हवाला दिया जिसमें किसी भी नियम के बारे में एक साल पहले बताने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि  प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में कोई यूनिफॉर्म नहीं है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय विकास परिषद के पास इस संबंध में कोई नियम तय करने का अधिकार नहीं है.   

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