डीएनए हिंदी: मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) को आज बड़ा झटका लगा है. उनसे कानून मंत्रालय (Law Ministry) की जिम्मेदारी छीन ली गई है. कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी अर्जुन राम मेघवाल (Law Minister Arjun Ram Meghwal) को दिया गया है. अब किरेन रिजिजू को भू विज्ञान मंत्रालय दिया गया है. इससे पहले रिजिजू को साल 2021 की जुलाई में रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar) की जगह कानून मंत्री बनाया गया था. अब सवाल यह है कि आखिर क्या वजह थी जिसके चलते कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी उनसे छिन गई?
किरेन रिजिजू ने अपने कार्यकाल के दौरान न्यायपालिका के साथ बड़ा टकराव (Kiren Rijiju vs Judiciary) लिया था. जजों के खिलाफ उनकी टिप्पणी से न्यायपालिका के साथ मोदी सरकार के रिश्ते काफी खराब हुए थे. इतना हीं नहीं, पूर्व जजों को एंटी इंडिया (Anti India Former Judges) ठहराने के मामले में रिजिजू की काफी आलोचना की गई. सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ याचिका भी दायर की गई थी हालांकि कोर्ट ने इस पर सुनवाई से इनकार किया था.
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किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव बना रहा. रिजिजू ने न्यायपालिका के प्रति खुले तौर पर टकराव वाला रवैया अपनाया था. कानून मंत्री के तौर पर रिजिजू के कार्यकाल में जजों की नियुक्ति के मुद्दे पर उनके और न्यायपालिका के बीच टकराव सुर्खियों में रहा था. रिजिजू शीर्ष न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति वाले कॉलेजियम व्यवस्था सिस्टम पर सार्वजनिक तौर पर तीखे हमले करते रहे हैं. वह इसे 'अपारदर्शी' सिस्टम बताते हुए आलोचना करते रहे हैं.
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बता दें कि पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दो जजों की पीठ ने रिजिजू की टिप्पणियों पर नाराजगी जताई थी. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा था कि शायद सरकार जजों की नियुक्ति को इसलिए मंजूरी नहीं दे रही, क्योंकि एनजेएसी को मंजूरी नहीं दी गई. रिजिजू ने नंवबर 2022 में कहा था कि जजों की नियुक्ति का कॉलेजियम सिस्टम संविधान के लिए एलियन है. उन्होंने कहा था कि कॉलेजियम सिस्टम में कई खामियां हैं और लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं.
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इतना ही नहीं एक मीडिया चैनल के कार्यक्रम के दौरान कहा था, "कुछ रिटायर्ड जज हैं शायद 3 या चार, जो एंटी-इंडिया ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं. ये लोग कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका निभाए. देश के खिलाफ काम करने वालों को इसकी कीमत चुकानी होगी."
एक कार्यक्रम के दौरान किरेन रिजिजू ने कोलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाए थे. इसी कार्यक्रम में न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कॉलेजियम प्रणाली का बचाव करते हुए कहा था, "हर प्रणाली दोष से मुक्त नहीं है, लेकिन यह सबसे अच्छी प्रणाली है, जिसे हमने विकसित किया है. इस प्रणाली का 'उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करना है, जो एक बुनियादी मूल्य है."
किरेन रिजिजू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की टिप्पणियों के खिलाफ एक पीआईएल भी सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी.हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले इस पीआईएल को खारिज कर दिया था.
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