डीएनए हिंदी: इतिहास में 6 जून की तारीख एक ऐसे जख्म के तौर पर दर्ज है जिसे भुला पाना मुश्किल है. सन् था 1984. अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को अलगाववादियों से आजाद कराने के लिए एक ऑपरेशन चलाया गया था. नाम था- ऑपरेशन ब्लू स्टार. इसमें 493 लोग मारे गए थे. 248 लोग घायल हुए थे. 83 जवान शहीद हो गए थे. 6 जून 1984 का वह दिन सिखों के लिए आज भी एक दर्दनाक घटना है.
क्या था ऑपरेशन ब्लू स्टार
पंजाब को भारत से अलग कर 'खालिस्तान' राष्ट्र बनाने की मांग उन दिनों जोर पकड़ने लगी थी. इसी के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस ऑपरेशन का फैसला लिया था. शुरुआत 1 जून 1984 को हुई थी. 3 जून को भारतीय सेना अमृतसर में दाखिल हुई और स्वर्ण मंदिर को घेर लिया गया. शाम तक कर्फ्यू लगा दिया गया था. चार जून को सेना ने गोलीबारी शुरू कर दी, ताकि चरमपंथियों के हथियारों का अंदाजा लगाया जा सके. शाम होते-होते इंदिरा गांधी ने सेना को स्वर्ण मंदिर परिसर में घुसने और ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू करने का आदेश दे दिया. जिसके बाद वहां परिसर में बहुत खूनखराबा हुआ.
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आज भी जारी है विवाद
इस ऑपरेशन के दौरान अकाल तख्त पूरी तरह तबाह हो गया था. स्वर्ण मंदिर पर भी गोलियां चलीं. कई सदियों में पहली बार वहां छह, सात और आठ जून को पाठ नहीं हो पाया. सिख पुस्तकालय भी जल गया था. इस ऑपरेशन के बाद भारतीय श्वेतपत्र के अनुसार बताई गई मरने वालों की संख्या को लेकर आज भी विवाद चल रहा है. सिख संगठनों का कहना है कि मरने वाले निर्दोष लोगों की संख्या हजारों में है, हालांकि भारत सरकार इसका खंडन करती आई है.
इंदिरा गांधी की हत्या
ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद ही प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सिख अंगरक्षकों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई थी. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दंगे भड़क गए थे जिनमें लगभग 3,000 सिख मारे गए थे. कहा जाता है कि सिख समुदाय ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को हरमंदिर साहिब की बेअदबी माना था और इंदिरा गांधी को अपने इस कदम की कीमत जाव गंवाकर चुकानी पड़ी थी.
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क्यों चलाया गया था ऑपरेशन ब्लू स्टार
ऑपरेशन ब्लू स्टार के पीछे जो परिस्थितियां थीं, उनकी जड़ें कई साल पुरानी थीं. शुरुआत 1978 में हुई थी. इस दौरान अकाली राजनीति में खींचतान और अकालियों की पंजाब संबंधित मांगों को लेकर आंदोलन शुरू हुआ था. इस पर अकाली दल ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पारित किया. इस प्रस्ताव में पंजाब को एक स्वायत्त राज्य के रूप में स्वीकारने तथा केंद्र को विदेश मामलों, मुद्रा, रक्षा और संचार सहित केवल पांच दायित्व अपने पास रखते हुए बाकी के अधिकार राज्य को देने संबंधी बातें कही गईं थी.
इस आंदोलन में सिख धर्म प्रचार संस्था के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरांवाले चर्चा में आए. 1984 में भिंडरावाले और कुछ सशस्त्र आतंकवादियों ने स्वर्ण मंदिर या हरमंदिर साहिब परिसर में प्रवेश किया और इसके अंदर अपना अड्डा बना लिया.इसी वजह से ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया. यह ऑपरेशन सफल रहा क्योंकि भारतीय सेना ने भिंडरावाले को खत्म करने में कामयाबी हासिल की. कुछ उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण भी किया.
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