West Bengal Anti-Rape Bill 2024: पश्चिम बंगाल में ट्रेनी डॉक्टर केस के चलते लगातार आंदोलन का सामना कर रही राज्य सरकार एंटी-रेप बिल लेकर आई है. यह बिल मंगलवार को विधानसभा में पेश किया गया है. 'अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) बिल' में बलात्कार और हत्या के मामलों में दोषियों को मृत्युदंड देने का प्रावधान किया गया है. यह बिल ममता बनर्जी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केंद्रीय स्तर पर एंटी-रेप बिल लाने के लिए दो पत्र लिखने के बाद पेश किया गया है. इस बिल पर अब विधानसभा में चर्चा चल रही है, जिसमें बिल के आसानी से पारित हो जाने की संभावना लग रही है.
यह हैं बिल के खास प्रावधान
पश्चिम बंगाल की विधानसभा में राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने बिल पेश किया. आइए आपको Aparajita Women and Child (West Bengal criminal law amendment) bill 2024 की खास बातें बताते हैं.
- यह बिल सभी उम्र की पीड़िताओं पर लागू होगा यानी रेप का शिकार महिला है या बच्ची, इससे कोई अंतर नहीं पड़ेगा.
- इसके लिए भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) 2012 के तहत कई प्रावधान में संशोधन इस बिल में किए गए हैं.
- बिल में रेप करने के बाद हत्या करने के दोषी व्यक्ति को को उम्रकैद की सजा सुनाई जाएगी.
- यह उम्रकैद 14 साल की नहीं बल्कि आरोपी को पूरी जिंदगी जेल में ही बिताने के लिए कैद कर देगी.
- रेप और हत्या करने के दोषी व्यक्ति पर आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा.
- रेप से संबंधित जांच 2 महीने के बजाय 21 दिन में पूरी करते हुए चार्जशीट दाखिल करनी होगी.
- अदालत को भी आरोप पत्र तैयार होने के एक महीने के भीतर सुनवाई खत्म करते हुए फैसला सुनाना होगा.
- ऐसे मामलों में अदालती कार्यवाही से जुड़ी जानकारी या पीड़िता की पहचान पब्लिश करने पर भी 3 से 5 साल कैद का प्रावधान है.
भारतीय न्याय संहिता में भी बदलाव करेगी ममता की सरकार
ममता बनर्जी की सरकार की तरफ से पेश बिल में भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की कुछ धाराओं में बदलाव का प्रावधान रखा गया है. इन बदलाव में रेप, यौन उत्पीड़न और गैंगरेप से जुड़े कानून शामिल हैं. बता दें कि केंद्र सरकार ने हाल ही में अंग्रेजों के जमाने की IPC को बदलकर BNS को लांच किया था. अब इसमें कई तरह के बदलाव ममता बनर्जी की सरकार ने अपने बिल में रखे हैं.
- ऐसे मामलों की तय समय में जांच पूरी करने के लिए खास सुविधाओं वाले विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाएगा.
- इन मामलों का ट्रायल तय समय में पूरा करने के लिए खास फास्ट्रैक कोर्ट के गठन का भी प्रस्ताव दिया गया है.
- गंभीर अपराधों में फिलहाल मुकदमा दर्ज होने के दो महीने के भीतर जांच पूरी करनी होती है, लेकिन अब यह 21 दिन में पूरी करनी होगी.
- यदि किसी मामले में 21 दिन में जांच पूरी नहीं होती तो पुलिस अधीक्षक स्तर से 15 दिन का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है.
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद बनेगा कानून
ममता बनर्जी की सरकार भले ही इस कानून को विधानसभा में पेश कर रही है, लेकिन वहां से पारित होने के बाद भी इसे कानून बनने में वक्त लगेगा. संवैधानिक रूप से राज्य सरकार कानून तैयार कर उसे विधानसभा में पारित करा सकती है, लेकिन इसे कानून का दर्जा राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करने के बाद ही मिलेगा.
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