Kolkata : रातों-रात घर छोड़ने को मजबूर हुए लोग, कई बच्चे नहीं दे पाए परीक्षा

Written By के.टी. अल्फी | Updated: May 13, 2022, 12:54 PM IST

2019 अगस्त के बाद अब मई 2022 यानी ढाई साल बाद फिर से बड़ाबाजार के दुर्गा पितुरी इलाके में वही भयानक मंजर देखने को मिल रहा है.

डीएनए हिंदी: कोलकाता का बड़ाबाजार सबसे व्यस्ततम इलाकों में से एक माना जाता है जहां पर बाजारों से लेकर रिहाइशी मकान भी बड़े स्तर पर मौजूद हैं लेकिन ऐसा क्या हो गया कि रातों रात लोग अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं. दरअसल मामला साल 2019 से शुरू हुआ जब बड़ाबाजार इलाके में मेट्रो का काम चल रहा था. उसी दौरान वहां मौजूद 40 घरों को भरी नुकसान झेलना पड़ा था. हालत इतनी खराब थी की कई घरों को तोड़ देना पड़ा और लोगों को अपने घरों को छोड़ कर जाना पड़ा था.

2019 अगस्त के बाद अब मई 2022 यानी ढाई साल बाद फिर से बड़ाबाजार के दुर्गा पितुरी इलाके में वही भयानक मंजर देखने को मिल रहा है. मेट्रो प्रोजेक्ट के आसपास स्थित कई घरों में दरारें देखने को मिलीं. केवल इतना ही नहीं बल्कि सड़क में भी दरारें दिखाई दे रही हैं. लोगो में इतना आतंक भर गया की आधी रात के बाद लोग अपने अपने घरों से निकल गए और सड़क पर आ गए. घर खाली करने के लिए इलाके में माइक से अनाउंसमेट की जा रही है. मेट्रो के अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंच कर मुआयना कर रहे हैं.

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इसी इलाके में रहने वाले शशि भूषण जायसवाल अपनी पत्नी कंचन जायसवाल के साथ 50 साल से भी ज्यादा समय से यहां रह रहे हैं. इनके परिवार में कुल 8 सदस्य हैं जिनमे दो बच्चें हैं. कंचन देवी के आंसू नहीं रुके हमसे बात करते करते - उन्होंने बताया की अब वो कभी भी उस घर में नहीं जा पाएंगी और उनका सजाया हुआ संसार ताश के पत्तों की तरह टूट के बिखर गया. कंचन देवी ने बताया इससे पहले भी ऐसी एक घटना घटी थी और उस वक्त भी उन्हें 3 महीने अपने घर से दूर रहना पड़ा था और आज वही भयानक सपना उनका पीछा कर रहा है.

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वहीं घर में दरार पड़ने के चलते एक पांचवी कक्षा का छात्र परीक्षा देने नहीं जा सका जिसके कारण उसका मन उदास है. रात में घर में दरार दिखने के बाद से अपने घर से बाहर दिन गुजार रहा है यह परिवार. इस घटना की खबर फैलते ही मामले ने राजनितिक तूल ले लिया. बंगाल बीजेपी के उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने दुर्गापुर में चाय पे चर्चा के दौरान कहा - मेट्रो रेल की वजह से जो दरार पैदा हो रही है उसकी जिम्मेदार मेट्रो नहीं है, तृणमूल के नेताओं ने जबरदस्ती रूट में परिवर्तन कर बड़ाबाजार की तरफ मोड़ दिया और इसीलिए बार-बार इस तरह की घटनाएं घट रही हैं. अब कोलकाता के लोगों को पाताल प्रवेश के पहले डर के माहौल में जीना पड़ेगा. अब देखना यह है कि प्रशासन मेट्रो के काम को आगे बढ़ाता है या मेट्रो राजनीती कि भेंट चढ़ता है.

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