Rajasthan News: कोटा रिवर फ्रंट पर बड़ा हादसा, दुनिया का सबसे बड़ा घंटा मोल्ड से निकालते समय इंजीनियर-मजदूर की मौत

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 19, 2023, 07:18 PM IST

Kota River Front पर मोल्ड का यही गर्डर टूटने से हादसा हुआ है.

Kota River Front Accident: राजस्थान के कोटा शहर में रिवर फ्रंट पर दुनिया का सबसे बड़ा घंटा लगाया जाना है, जिसे वहीं पर मोल्ड बॉक्स में तैयार किया जा रहा था.

डीएनए हिंदी: Rajasthan News- राजस्थान के कोटा शहर में रविवार को बड़ा हादसा हो गया. कोटा रिवर फ्रंट पर लगने वाला दुनिया का सबसे बड़ा घंटा मेकिंग मोल्ड से निकालते समय कास्टिंग इंजीनियर और एक मजदूर करीब 35 फीट ऊंचाई से नीचे गिर गए. दोनों को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई है. यह घंटा मरने वाले कास्टिंग इंजीनियर ने ही डिजाइन किया था, लेकिन इसे बनाने वाला ठेकेदार इसे मोल्ड से निकालने में सफल नहीं हो पाया था. इस कारण इंजीनियर को बुलाया गया था, जो अपनी देखरेख में घंटा निकलवा रहे थे. इसी दौरान यह हादसा हो गया.

3 नवंबर से चल रहा था घंटे को निकालने का काम

रिवर फ्रंट पर दुनिया का सबसे बड़ा घंटा लगाने के लिए उसने मोल्ड में तैयार किया गया था. करीब 80 दिन में भी इस मोल्ड से घंटे को निकाल पाने में असफल रहने पर ठेकेदार ने कास्टिंग इंजीनियर देवेंद्र आर्य को बुलाया था. आर्य 3 नवंबर को बुलाए गए थे. इस घंटे की ढलाई देवेंद्र ने ही रिवर फ्रंट पर अस्थायी ढलाई फैक्ट्री लगाकर 17 अगस्त को की थी. रविवार को वे घंटे को निकालने के लिए 35 फुट ऊंचे प्लेटफार्म पर खड़े होकर जुटे हुए थे. 

गर्डर टूटने के कारण हुआ हादसा

कुन्हाड़ी थाने के इंचार्ज महेंद्र कुमार के मुताबिक, दोपहर 3 बजे के करीब हाइड्रोलिक मशीन की मदद से मोल्ड के गर्डर हटाए जा रहे थे. इसी दौरान एक गर्डर टूट गया. गर्डर टूटते ही बैलेंस बिगड़ने के कारण इंजीनियर आर्य और मजदूर छोटी 35 फीट से नीचे गिर गए. दोनों को तत्काल कोटा के तलवंडी स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां दोनों की इलाज के दौरान मौत हो गई है.

79 हजार किलो का घंटा, 5 हजार साल रहेगा सेफ

कोटा रिवर फ्रंट को दुनिया में अनूठा बनाने के लिए यहां दुनिया का सबसे बड़ा घंटा लगाने की कवायद चल रही है. इसके लिए सिंगल पीस कटिंग यानी बिना जोड़ वाला घंटा तैयार किया गया है. इसका वजन करीब 79 हजार किलो रहने का अनुमान है. इसे 13 तरह की धातुओं को पिघलाकर तैयार किया गया है. इसे मोल्ड से निकालने के दौरान हादसे का शिकार हुए कास्टिंग इंजीनियर देवेंद्र आर्य ने ही यह घंटा डिजाइन किया था. उनका दावा था कि यह घंटा 5 हजार साल तक सुरक्षित रहेगा. करीब 8.5 मीटर व्यास और 9.25 मीटर ऊंचाई वाले घंटे को बजाने पर 'ऊं' की ध्वनि निकलेगी, जो 8 किलोमीटर दूर तक सुनाई देगी.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.