डीएनए हिंदी: चीता प्रोजेक्ट के तहत भारत सरकार अफ्रीकी देश नामीबिया से चीतो को लाई. इन्हें मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कुनो नेशनल पार्क में रखा गया. यहां अब तक कुल 6 चीतों की मौत हुई है जिससे प्रोजेक्ट चीता को बड़ा झटका लगा है. वन विभाग चीतों की मौत की वजह पता करने की कोशिश करने में जुटा हुआ है. इस बीच अब केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि चीतों की मौत की वजह जानने की स्टडी और रिसर्च के लिए वन विभाग की टीम नामीबिया और साउथ अफ्रीका जाएगी.
मध्य प्रदेश के श्योपुर के कुनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत को लेकर राज्य की शिवराज सिंह चौहान की सरकार भी चिंता है. इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भूपेंद्र यादव ने भी मुलाकात की थी. उन्होंने बताया है कि वह वह छह जून को श्योपुर जिले में कूनो नेशनल पार्क का दौरा करेंगे.
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प्रोजेक्ट चीता को लगा झटका?
बता दें कि कुनो में मार्च से अब तक छह चीतों की मौत हो चुकी है. बीते 23 मई को ज्वाला चीता से पैदा हुए चार शावकों में से तीन की मौत हो गई थी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चीता प्रोजेक्ट के लिए सुरक्षा, संरक्षण और सभी तरह की सहायता प्रदान की जाएगी और चीतों की जान बचाने के लिए लगातार उचित कदम उठाए जा रहे हैं.
चीतों को बचाने के होंगे प्रयास
मुख्यमंत्री शिवराज से मुलाकत के दौरान केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह भी कहा कि गांधी सागर सैंचुरी राज्य में चीतों के लिए एक वैकल्पिक घर के रूप में तैयार हो रहा है. उन्होंने कहा कि केएनपी में चीतों की संख्या इसकी क्षमता से कम थी. वहीं इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में तीन चीता शावकों की मौत से वे व्यथित हैं. यह सच है कि दुनियाभर में चीते के शावकों के बचने की दर कम थी लेकिन उनकी सरकार बाघों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करेगी.
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सरकार ने चीतों के लिए बनाई है कमेटी
बता दें कि हाल ही में सरकार ने चीतों की देखभाल और निगरानी के लिए चीता परियोजना संचालन समिति गठित का गठन किया था. इसके बाद अब चीतों से जुड़ा कोई भी फैसला इस कमेटी के सदस्यों की सहमति से ही लिया जाएगा. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने मध्य प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव (ACS) के साथ हुई बैठक में एक चीता परियोजना संचालन समिति का गठन करने का फैसला लिया गया था.
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रिपोर्ट्स के अनुसार चीतों के लिए बनाई गई इस कमेटी में विभिन्न वन्यजीव संस्थानों के सदस्य, अधिकारी या पूर्व अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता तथा अन्य संगठनों के सदस्य शामिल होंगे जो कि चीतों की जान बचाने के साथ ही उनके लिए सुरक्षित माहौल तैयार करने पर काम करेंगे.
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