Lakhimpur Kheri कांड के आरोपी आशीष मिश्रा ने कोर्ट के सामने किया सरेंडर, पहुंचा जेल

पुष्पेंद्र शर्मा | Updated:Apr 24, 2022, 09:08 PM IST

आशीष मिश्रा को एक सप्ताह का समय दिया गया था.

सुरक्षा कारणों से उसे जेल में अलग बैरक में रखा जाएगा.

डीएनए हिंदी: गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा ने रविवार को उत्तर प्रदेश की एक स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. हत्या के मामले में आरोपी आशीष मिश्रा को वापस लखीमपुर जेल भेज दिया गया है. लखीमपुर खीरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते उसकी जमानत रद्द कर दी थी और आत्मसमर्पण करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था. 

अलग बैरक में रखा जाएगा
आशीष मिश्रा के वकील अवधेश सिंह ने समाचार एजेंसी PTI को बताया, आशीष ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है. हमें एक सप्ताह का समय दिया गया था. सोमवार इसका आखिरी दिन था, इसलिए उसने एक दिन पहले आत्मसमर्पण कर दिया. जेल अधीक्षक पीपी सिंह ने कहा कि सुरक्षा कारणों से उसे जेल में अलग बैरक में रखा जाएगा.

आशीष मिश्रा पर कृषि कानूनों के विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों को एसयूवी से कुचलने का आरोप है. उसपर किसानों और एक पत्रकार की हत्या का आरोप लगाया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा को इसी साल फरवरी में जमानत दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते जमानत रद्द कर दी. अदालत ने फिर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में गुहार लगाने की अनुमति दी थी. 

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आदेश को रद्द करना जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते जमानत रद्द करते हुए कहा था कि पीड़ितों को सुनवाई के अधिकार से वंचित करना और उच्च न्यायालय द्वारा दिखाई गई हड़बड़ी में जमानत के आदेश को रद्द करना जरूरी है. शीर्ष अदालत ने कहा कि न्यायिक उदाहरणों की अनदेखी की गई है. हाई प्रोफाइल मामले में गवाहों का आरोप है कि उनपर हमला किया गया और गवाही न देने की धमकी दी गई. 

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गवाहों पर हो रहे हैं हमले 
12 अप्रैल को हरदीप सिंह ने कहा कि मामले में गवाह के रूप में उनकी भूमिका को लेकर रविवार को रामपुर जिले में लोगों के एक समूह ने हमला किया था. हालांकि, पुलिस ने आरोप का खंडन करते हुए कहा कि उन्हें मामले से कोई संबंध नहीं मिला है. 

सिंह लखीमपुर खीरी मामले में उस पर हमले का आरोप लगाने वाले दूसरे गवाह थे. मार्च में एक गवाह पर हमला किया गया था. किसान समूहों ने आरोप लगाया था कि आशीष मिश्रा की जमानत रद्द की जानी चाहिए क्योंकि वह गवाहों के लिए खतरा हैं. 

3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में आठ लोगों की मौत हो गई थी. केंद्रीय मंत्री के बेटे के काफिले द्वारा चार किसानों और एक पत्रकार को कुचलने के बाद, बाद में हुई हिंसा में भाजपा कार्यकर्ताओं सहित तीन और मारे गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा था. 

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