डीएनए हिंदी: चीनी नौसेना (Chinese Navy) की तरफ से समुद्र में भी बढ़ती चुनौती के बीच भारतीय नेवी (Indian Navy) ने भी अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शुक्रवार को भारतीय नेवी को पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत (INS Vikrant) सौंपकर इस दिशा में कदम बढ़ाया है. अब भारतीय नेवी के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर INS Vikrant और रूस में निर्मित INS विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) हो गए हैं, जो देश के दो छोर पर समुद्री सीमा की सुरक्षा कर सकते हैं.
Video : PM Modi ने भारतीय नौसेना को सौंपा INS Vikrant
इसके साथ ही नेवी के लिए एक और स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की तैयारी भी शुरू हो गई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस दूसरे स्वदेशी एयरक्राफ्टर कैरियर का नाम INS विशाल (INS Vishal) हो सकता है और यह करीब 65,000 टन वजन का होगा. इसका डिजाइन ब्रिटिश नेवी के क्वीन एलिजाबेथ क्लास एयरक्राफ्ट कैरियर (Queen Elizabeth-class Aircraft carrier) जैसा होगा.
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पिछले दिसंबर में संसदीय कमेटी कर चुकी है सिफारिश
Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल दिसंबर में ही रक्षा मामलों की स्थायी संसदीय समिति (Parliamentary Standing Committee on Defence) ने अपनी रिपोर्ट में तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए सिफारिश की थी. रिपोर्ट में तीसरे किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर को अनदेखा नहीं करने वाली जरूरत कहा गया था. यह सिफारिश भारतीय उपमहाद्वीप की लंबी समुद्री सीमा और दोनों किनारों पर वार करने को तैयार बैठे दुश्मनों (पाकिस्तान व चीन) को ध्यान में रखकर की गई थी.
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इस साल संसद में पेश रिपोर्ट में भी था जिक्र
संसदीय समिति की एक रिपोर्ट इस साल मार्च में भी लोकसभा में पेश की गई थी. इस रिपोर्ट में एक टेबल का विवरण कुछ ऐसा था- भारतीय नेवी के लिए साल 2022-23 के दौरान खरीदारी की योजना के ब्योरे पर लिखित नोट. इस टेबल में स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर-2 और मल्टी रोल कैरियर बोर्न फाइटर्स (MRCBF) की खरीद का जिक्र था.
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आज मंजूरी मिले तब भी 10 साल में होगा निर्माण
भारतीय नेवी को यदि दूसरा स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (IAC) दिए जाने की मंजूरी आज ही मिल जाए, तब भी इसे नेवी को मिलने में करीब 10 साल लगेंगे. निर्माण और परीक्षण में लगने वाले समय का अनुमान पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत को लेकर हुए अनुभव पर आधारित है, जिसे मंजूरी के बाद भारतीय नेवी तक पहुंचने में करीब 17 साल का समय लग गया है.
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एक ही एयरक्राफ्ट कैरियर से काम चलाती रही है नेवी
अब तक भारतीय नेवी एक ही एयरक्राफ्ट कैरियर से काम चलाती रही है. पहले नेवी के पास INS विक्रांत (पुराना विक्रांत) था, जिसके रिटायरमेंट के समय नेवी को ब्रिटेन में बना सेंटूर क्लास (Centaur class) का एयरक्राफ्ट कैरियर INS विराट (INS Virat) मिल गया. इसके बाद नेवी को साल 2013 में रूस से INS विक्रमादित्य मिला, जो साल 1987 से 1996 तक रूसी नेवी में INS एडमिरल गोर्शकोव (INS Admiral Gorshkov) के नाम से सेवा दे चुका था. INS विक्रमादित्य मिलने के 3 साल बाद जुलाई, 2016 में INS विराट को रिटायर कर दिया गया. यह पहला मौका है, जब नेवी के पास एकसाथ दो लंबे समय तक सेवा देने वाले एयरक्राफ्ट कैरियर हैं.
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