5G Service से क्रैश हो जाएंगे विमान!, जानिए क्या है कारण, क्यों लिखना पड़ा है DGCA को लेटर

कुलदीप पंवार | Updated:Sep 23, 2022, 06:14 PM IST

DGCA को डर है कि 5G सर्विसेज के कारण विमानों के रेडियो अल्टीमीटर में खराबी आ सकती है, जो उड़ान का सबसे अहम उपकरण है.

डीएनए हिंदी: देश में टेलिकॉम क्रांति की तैयारी जोरों पर चल रही है. ज्यादातर प्रमुख मोबाइल कंपनियों ने अगले एक से दो महीने के दौरान देश के मेट्रो शहरों में अपनी 5G Data Service शुरू करने की घोषणा की है, जिससे क्लिक करते ही फाइल्स डाउनलोड हो पाएंगी. इस अच्छी खबर के बीच एक डराने वाली खबर सामने आई है. DGCA ने भारतीय दूरसंचार विभाग (Indian Telecom Department) को एक पत्र लिखा है, जिसमें 5G सर्विस के C-बैंड स्पेक्ट्रम से विमानों के रेडियो अल्टीमीटर में संभावित खराबी को लेकर चिंता जताई गई है. ये चिंता इसलिए ज्यादा गंभीर है, क्योंकि इससे पहले अमेरिकी एविएशन रेगुलेटरी भी ऐसी ही चिंता जाहिर कर चुकी है. हालांकि अब तक इस कारण से वहां किसी विमान दुर्घटना की खबर सामने नहीं आई है.

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क्या होता है विमान का रेडियो अल्टीमीटर

किसी विमान के कॉकपिट में लगा अल्टीमीटर पायलट को समुद्र तल से विमान की ऊंचाई की सूचना देता है. इससे पता लगता है कि विमान कितनी ऊंचाई पर उड़ान भर रहा है. यह दो प्रकार का होता है. पहला प्रेशर अल्टीमीटर, जो विमान पर वायुमंडल के दबाव का नापने में काम आता है और दूसरा रेडियो अल्टीमीटर, जो रेडियो वेव सिग्नल (जैसे सिग्नलों से हम मोबाइल या वायरलैस पर बात करते हैं) पर काम करता है. इसे रडार अल्टीमीटर भी कहते हैं. इसके बिना पता ही नहीं लगेगा कि विमान कितनी ऊंचाई पर है और उसके किसी पहाड़ी या सामने से आ रहे दूसरे विमान से टकराने की संभावना बढ़ जाएगी.

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DGCA को क्या है चिंता

दरअसल यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने विमानों की उड़ान पर 5G सर्विस के कारण व्यवधान की चिंता जताई थी. FAA ने 2 नवंबर, 2021 को एक विशेष उड़ान योग्यता सूचना बुलेटिन (SAIB) जारी किया था, जिसमें संभावना जताई गई थी कि 5G सर्विस के रेडियो सिग्नल से विमान के रडार अल्टीमीटर में संभावित खराबी आ सकती है. 

यह बुलेटिन साल 1937 से स्वतंत्र काम कर रही रेडियो टेक्निकल कमीशन फॉर एरोनॉटिक्स (RTCA) की एक स्टडी के आधार पर जारी किया गया था. इस स्टडी में कहा गया था कि 5G सर्विस के कारण एक गंभीर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेयरेंस (EMI) पैदा हो सकता है, जो 5G C-Band स्पेक्ट्रम के 4.2 से 4.4 गीगा हर्ट्ज़ रेंज में बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. हालांकि भारत में इससे कम क्षमता की गीगा हर्ट्ज रेंज का इस्तेमाल 5G सेवाओं के संचालन में किया जाएगा.

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FAA के बुलेटिन के आधार पर ही भारत में डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने चिंता इसलिए जताई है, क्योंकि विमानों जैसे ही रेडियो अल्टीमीटर 5G टेलिकॉम सर्विस के सी-बैंड का भी हिस्सा हैं. टेलिकॉम सेवाओं के लिए सी-बैंड 5जी के रोल आउट से हाईबैंडविथ और तेज़ इंटरनेट स्पीड मिल सकती है. इसी कारण DGCA ने टेलिकॉम विभाग को पत्र लिखकर इस चिंता को दूर करने का रास्ता तलाशने की अपील की है.

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टेलिकॉम विभाग नहीं मानता ऐसा प्रभाव

DGCA के एक अधिकारी के मुताबिक, विमानों के रेडियो अल्टीमीटर तय फ्रीक्वेंसी के हिसाब से सबसे अच्छे सिग्नल के आधार पर रिजल्ट जुटाते हैं. इससे विमानों के उपकरण उन 'आउट ऑफ़ बैंड' सिग्नल को भी पकड़ सकते हैं, जो 5G सेवाओं के लिए जारी होंगे और उसका रेडियो अल्टीमीटर इन सिग्नल से जुड़कर गलत रीडिंग दे सकता है.

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हालांकि टेलिकॉम विभाग ने इस संभावना को खारिज किया है. एक टेलिकॉम अधिकारी के मुताबिक, हमने नीलामी में सी-बैंड स्पेक्ट्रम की 3.3 गीगाहर्ट्ज़ से 3.6 गीगाहर्ट्ज़ तक की फ्रीक्वेंसी ही ली है. विमानों के रेडियो अल्टीमीटर में 4.2 से 4.4 गीगाहर्ट्ज़ फ्रीक्वेंसी इस्तेमाल होती है. ऐसे में दोनों फ्रीक्वेंसी में 500 मेगाहर्ट्ज का अंतर है. हालांकि DGCA की तरफ से जताई गई चिंता पर हम रिसर्च कर रहे हैं. इसके लिए दोनों विभाग मिलकर काम कर रहे हैं. 

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