डीएनए हिंदी: रोटी, कपड़ा और मकान किसी भी व्यक्ति की मूलभूत जरूरतों में शामिल है. साल 2011 की जगगणना के अनुसार, देश में 17.73 लाख लोगों के पास सिर पर छत ही नहीं है. चिंता की बात ये है कि गांवों के मुकाबले शहरों में बेघरों की संख्या ज्यादा है. देश की राजधानी दिल्ली में प्रति लाख आबादी पर सबसे ज्यादा बेघर (282) रहते है. जानिए आपके राज्य में बेघरों की स्थिति क्या है?
देश की 68% आबादी गांवों में, फिर भी शहरों में बेघर ज्यादा
देश में साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 17.73 लाख लोग बेघर हैं. देश की 68 प्रतिशत से ज्यादा आबादी गांवों रहती है. लेकिन बेघर लोगों की संख्या शहरों के मुकाबले कम है. कुल 17.73 लाख लोगों मे से 8.34 लाख बेघर गावों में रहते है. वहीं शहरों में बेघरों की संख्या 9.38 लाख से ज्यादा है.
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देश के गांवो में 68% आबादी और कुल बेघरों के 47% रहते हैं. वहीं, शहरों में देश की 31 % आबादी और कुल बेघरों की करीब 53 प्रतिशत आबादी रहती है.
प्रति लाख आबादी पर दिल्ली मे सबसे ज्यादा बेघर
वहीं, अगर देश में सबसे ज्यादा बेघर लोग उत्तर प्रदेश (3.29 लाख) में रहते हैं. महाराष्ट्र (2.10 लाख), राजस्थान (1.8 लाख), मध्यप्रदेश (1.46 लाख) और आंध्र प्रदेश (1.45 लाख), गुजरात (1.44 लाख), पश्चिम बंगाल (1.34 लाख) उन राज्यों में शामिल हैं, जहां एक लाख से ज्य़ादा लोगों के पास घर नहीं है.
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वहीं, अगर प्रति लाख आबादी पर बेघरों की संख्या खंगाले तो देश की राजधानी में सबसे ज्यादा बेघर (282) लोग रहते हैं. इसके बाद राजस्थान (265) और गुजरात का (239) का नंबर आता है. वहीं, गोवा (218), हरियाणा(205) , मध्यप्रदेश (202), महाराष्ट्र (188), आंध्र प्रदेश (172), पंजाब (169), उत्तर प्रदेश (165), मणिपुर (161), जम्मू कश्मीर (152), पश्चिम बंगाल (147) में उन राज्यों में शामिल है जहां बेघर प्रति लाख आबादी राष्ट्रीय औसत (146) से ज्यादा है.
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वहीं, देश के बड़े राज्यों में सबसे प्रति लाख आबादी पर सबसे कम बेघर के पैमाने पर केरल अव्वल नम्बर पर है, जहां हर एक लाख आबादी पर सिर्फ 14 लोग बेघर है. वहीं इसके बाज चंडीगढ़ (39), असम (41), बिहार (45) हिमाचल प्रदेश (60), तमिलनाडू (70), झारखंड (71) , उड़ीसा (81), त्रिपुरा (90) और छत्तीसगढ़ (95) उन राज्यों में शामिल हैं, जहां प्रति लाख आबादी पर 100 से कम लोग बेघर है.
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प्रधानमंत्री आवास योजना से सूरत बदलने की उम्मीद
ये आंकड़े 10 साल पहले हुए जनगणना 2010 के आधार पर दर्शाए गए हैं. संभव है कि नई जनगणना में स्थितियां बेहतर देखने को मिले. साल 2022 तक सबसे लिए आवास लक्ष्य के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में अब तक (2.46 करोड) घरों का निर्माण स्वीकृत हुआ है. इनमें 80 प्रतिशत से ज्यादा यानी 2.01 करोड़ से ज्यादा मकान बन चुके हैं. वही शहर आबादी के लिए 1.22 करोड़ मकान स्वीकृत हुए हैं. जिसमें से 51 प्रतिशत घर (63.27 लाख ) अब तक बन चुके हैं.
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