Uttar Pradesh BJP में 'भितरघात' की गूंज, बन रही रिपोर्ट, ऊपर से नीचे तक बदलेगा संगठन?

कुलदीप पंवार | Updated:Jun 06, 2024, 01:58 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो-PTI)

Uttar Pradesh BJP को लोकसभा चुनावों में बड़ा झटका लगा है. 2019 में 62 सीट जीतने वाली भाजपा इस बार महज 33 सीटों पर ही सिमट गई है. इसके बाद पार्टी में खलबली मची हुई है.

लोकसभा चुनावों के परिणाम (Lok Sabha Chunav result 2024) ने जितना बड़ा झटका भाजपा को पूरे देश में दिया है, उससे भी कई गुना बड़ा झटका उत्तर प्रदेश में लगा है. देश में सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में भाजपा साल 2019 के मुकाबले तकरीबन आधी सीटों पर सिमट गई है. साल 2019 में पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 62 सीट जीती थी. इस बार अयोध्या राम मंदिर, तीन तलाक कानून, कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों के बल पर भाजपा ने पहले से ज्यादा सीटें जीतने का अनुमान लगाया था, लेकिन पार्टी महज 33 सीट ही बटोर सकी है. इसके बाद पार्टी के अंदर खलबली मची हुई है. भाजपा नेतृत्व एक्टिव हो गया है. पार्टी के भितरघात पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसके बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी समेत पूरे संगठन में बदलाव हो सकता है. उधर, इस बार अपनी सीट हार गए कई सांसदों ने भी पार्टी में 'भितरघात' होने का आरोप लगाया है. यूपी में भाजपा के सहयोगी दलों ने भी इस हार के लिए भगवा दल के अंदरूनी मतभेदों को जिम्मेदार बताया है. निषाद पार्टी के नेता व राज्य सरकार में मंत्री संजय निषाद ने आरोप लगाया है कि भारत माता की जय कहने वालों ने धोखा दिया है. 


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यूपी सरकार के 16 मंत्री अपनी विधानसभा में भी हार गए

लोकसभा चुनाव के दौरान 16 विधानसभा ऐसी रही हैं, जिनके विधायक मौजूदा योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं. राज्य सरकार के ये मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र में भी पार्टी को विपक्षी से पिछड़ने से नहीं बचा सके हैं. सूर्य प्रताप शाही की पथरदेवा सीट पर, राकेश सचान की भोगनीपुर सीट पर भाजपा को हार मिली है. इसी तरह जयवीर सिंह, ओम प्रकाश राजभर, असीम अरुण, सोमेंद्र तोमर, सुरेश राही, अनूप बाल्मिकी, सतीश शर्मा और विजय लक्ष्मी गौतम की सीटों पर भी पार्टी को जीत नहीं मिली है. इसका खामियाजा इन मंत्रियों को भी भुगतना पड़ सकता है. इससे माना जा रहा है कि राज्य कैबिनेट में भी फेरबदल हो सकता है.

भूपेंद्र चौधरी को हटाकर सुनील बंसल को बनाया जा सकता है प्रदेश अध्यक्ष

भाजपा नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश में हार का कारण भितरघात ही माना है. इसे लेकर प्रदेश इकाई से रिपोर्ट मांगी गई है. इस रिपोर्ट के आधार पर पार्टी संगठन में बदलाव होंगे. यह तय माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को हटाया जाएगा. उनकी जगह सुनील बंसल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा. ये बदलाव 15 जुलाई से पहले हो जाएंगे. पार्टी में प्रदेश स्तर पर ही नहीं क्षेत्रीय, जिला व महानगर स्तर पर भी संगठनों में आमूलचूल परिवर्तन किया जाएगा. खासतौर पर यह देखा जाएगा कि टिकटों के बंटवारे में सबसे अहम भूमिका किसकी थी. उस पर ही हार का ठीकरा फोड़ा जाएगा.


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योगी आदित्यनाथ ने 3 घंटे तक कसे प्रशासन के पेंच, शाम को पहुंच रहे दिल्ली

भाजपा की हार में प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका की भी चर्चा हो रही है. इसके चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को सभी विभागों की बैठक बुलाकर 3 घंटे तक कामकाज की समीक्षा की है. इस बैठक में प्रदेश के सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बुलाए गए थे. मुख्यमंत्री ने बिजली और ट्रांसपोर्ट पर खास निर्देश दिए हैं. प्रदेश में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने को कहा है और बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर नाराजगी जताई है. परिवहन और यातायात विभाग को दुर्घटनाएं रोकने का आदेश दिया है. सभी ACS और प्रमुख सचिवों ने अपनी कार्ययोजना बताई है. इसके बाद योगी आदित्यनाथ गुरुवार शाम को दिल्ली पहुंच रहे हैं. उनकी मुलाकात राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से होगी. माना जा रहा है कि इसमें योगी आदित्यनाथ भी चुनाव के दौरान ढीला रवैया दिखाने वाले नेताओं के नाम नड्डा को बताएंगे.


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साध्वी निरंजन ज्योति बोली- मैं भितरघात से हारी

दो बार की सांसद साध्वी निरंजन ज्योति इस बार चुनाव हार गई हैं. गुरुवार को उन्होंने इसके लिए पार्टी में भितरघात को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा,'यूपी में भाजपा की हार भितरघात के कारण हुई है. इसकी जांच होनी चाहिए.' पूर्व राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने भी पार्टी में चुनावों के दौरान हुई भितरघात की जांच किए जाने की मांग की है.


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संजय निषाद ने कहा, 'आरक्षण खत्म करने वाले बयान से हुआ नुकसान'

निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद ने भाजपा की अंदरूनी तकरार पर निशाना साधा है. संजय निषाद का बेटा संत कबीर नगर लोकसभा सीट से चुनाव हार गया है. निषाद ने भाजपा का नाम लिए बिना कहा,'भाजपा में जिन्हें टिकट नहीं मिला, उन लोगों ने चुनाव के दौरान धोखा दिया. वे भारत माता की जय कहते रहे और पीठ पीछे धोखा देते रहे.' निषाद ने आरक्षण बदलने वाले बयानों को भी हार का कारण बताया है. उन्होंने कहा,'कई लोगों ने गलत बयान दिए. उन्होंने कहा कि भाजपा सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी. आरक्षण को खत्म कर देगी. इस हिसाब से विपक्ष ने अपना नेरेटिव सेट किया और इसे मुद्दा बनाया. 23 फीसदी दलित वोट को आरक्षण खत्म होने का डर दिखाया गया और इसके चलते हम हार गए.' 

 

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