BJP ने Chirag को दी तवज्जो तो तन गए Pashupati Paras, बोले- सम्मान नहीं मिला तो हमारे दरवाजे खुले हैं

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Mar 15, 2024, 06:50 PM IST

Lok Sabha Elections 2024: बिहार में भाजपा अब तक अपने सहयोगी दलों के साथ सीट-शेयरिंग जारी नहीं कर सकी है. इसका कारण राम विलास पासवान के परिवार में चल रही विरासत की जंग ही है.

Lok Sabha Elections 2024: बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (LJPR) के मुखिया चिराग पासवान (Chirag Paswan) के साथ सीट-शेयरिंग तय कर सुकून की सांस ले रही भाजपा की नींद फिर उड़ने जा रही है. BJP ने 'भतीजे' चिराग को मना लिया है, लेकिन अब 'चाचा' पशुपति पारस (Pashupati Paras) अड़ गए हैं. पशुपति ने शुक्रवार को दिवंगत नेता राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की परंपरागत हाजीपुर लोकसभा सीट (Hajipur Lok Sabha Seat) पर अपना दावा ठोक दिया है.

भाजपा-LJPR के बीच सीट-शेयरिंग को लेकर सामने आई खबरों में इस सीट से चिराग पासवान के खुद उतरने का दावा किया गया था, लेकिन राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के मुखिया पशुपति ने कहा है कि, 'हाजीपुर सीट से मैं ही चुनाव लड़ूंगा.' साथ ही उन्होंने अपने सभी मौजूदा सांसदों को उनकी वर्तमान सीटों से ही दोबारा टिकट देने का ऐलान करते हुए एक तरीके से भाजपा नेतृत्व वाले NDA गठबंधन से भी बाहर निकलने के संकेत दे दिए हैं. इसे भाजपा के लिए बिहार में बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि इससे कई सीटों पर निर्णायक साबित होने वाले 6% पासवान वोट के साथ ही कई अन्य दलित जातियों के वोट भी बिखरने की संभावना बन गई है.

क्या कहा है Pashupati Paras ने
पशुपति पारस ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत की. उन्होंने समाचार एजेंसी से कहा, 'सीटों के बंटवारे पर हमारी किसी से बात नहीं हुई है. मैं हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ूंगा. इसके साथ ही हमारी पार्टी ने निर्णय लिया है कि हमारे सभी मौजूदा सांसद अपनी-अपनी सीटों से चुनाव लड़ेंगे. हमारी पार्टी दलितों की पार्टी है.'

'राजद-Congress से नहीं हो रही कोई बात'

जब पशुपति पारस से यह पूछा गया कि क्या वे विपक्षी RJD-Congress के साथ जुड़ेंगे? उन्होंने कहा, 'यदि आप विपक्षी INDIA गठबंधन की बात कर रहे हैं तो हमने किसी के साथ कोई चर्चा नहीं की है. हमने कभी किसी से बात नहीं की है. हमारी पार्टी में 5 सांसद हैं.'

 उन्होंने आगे कहा कि, 'NDA गठबंधन को 'sitting-getting goal' को फॉलो करना चाहिए, लेकिन हमारी पार्टी के साथ न्याय नहीं हुआ. बिहार में NDA की लिस्ट जारी होने तक हम इंतजार करेंगे. मैं सेंट्रल लीडरशिप से अपील करता हूं कि इस बात पर दोबारा विचार करे कि पासवान समुदाय के तीन सांसदों का टिकट काटने का गलत संदेश जाएगा.'

कैसे भाजपा गठबंधन के लिए झटका है ये बात
पशुपति पारस ने जो बात कही है, उसे भाजपा नेतृत्व वाले NDA गठबंधन के लिए करारा झटका माना जा रहा है. दरअसल चिराग से भी पहले पशुपति पारस ही भाजपा के सहयोगी हैं. उन्हें केंद्र में मंत्री पद भी मिला हुआ है. लेकिन अब उन्होंने अपने बयान से NDA छोड़ने के संकेत दिए हैं, क्योंकि जिन सीटों पर वे अपने मौजूदा सांसद उतारने की बात कर रहे हैं, उन 6 में से ही 5 सीटें भाजपा ने चिराग पासवान को सीट-शेयरिंग में दी हैं. ऐसे में पशुपति के बयान से उनके NDA छोड़ने के संकेत मिल रहे हैं. ऐसा हुआ तो भाजपा को चिराग का साथ मिलने का ज्यादा लाभ नहीं होगा.

पासवान वोट में हो जाएगा बिखराव, जो बनता NDA की ताकत

फिलहाल हाजीपुर से पशुपति ही सांसद हैं और वे खुद को राम विलास पासवान की विरासत का असली वारिस भी मानते हैं. भाजपा ने चिराग पासवान को विपक्षी INDIA ब्लॉक के साथ जाने से इस कारण रोका था, क्योंकि इससे बिहार में पासवान वोट का बिखराव होगा. बिहार में करीब 6% पासवान वोट हैं, जो दलितों में दूसरा सबसे बड़ा वोटबैंक माना जाता है. यह वोटबैंक 40 में से कम से कम 13 लोकसभा सीटों पर प्रभाव डालता है, क्योंकि इसका समर्थन पाने वाली पार्टी को कई अन्य दलित जातियां भी वोट देती हैं.

अब तक ये वोटर राम विलास की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को ही वोट करते रहे हैं, जो अब चाचा-भतीजे के बीच दो अलग-अलग पार्टियों में बंट गई है. यदि पासवान वोट इन दो अलग-अलग पार्टियों के बीच बंटा तो बेहद कमजोर साबित होगा. ऐसे में भाजपा और उनके साथी मुख्यमंत्री Nitish Kumar की JDU को इस वोटबैंक का लाभ नहीं मिल पाएगा.

राज्यपाल और राज्य सरकार में मंत्री पद का मिला था ऑफर
भाजपा सूत्रों ने बताया था कि चिराग को लोकसभा में ज्यादा सीट देने के बदले पशुपति पारस को भी एक ऑफर दिया गया था. पारस को किसी राज्य का राज्यपाल बनाए जाने और उनके बेटे प्रिंस को बिहार सरकार में मंत्री पद देने का ऑफर दिया गया था. पारस के शुक्रवार को आए बयान से लग रहा है कि राज्यपाल और मंत्री पद के ऑफर पर उनका भाजपा से समझौता नहीं हो पाया है. 

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