Inheritance Tax Row: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में वरिष्ठ नेताओं के बीच आपसी छींटाकशी के निजी स्तर तक पहुंच जाने के बाद भारतीय चुनाव आयोग (ECI) एक्टिव हुआ है. ECI ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को नोटिस भेजकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बयानों पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया है. दिल्ली में जब ECI यह नोटिस सर्व कर रहा था, उसी दौरान प्रधानमंत्री मोदी करीब 400 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के मुरैना में एक बार फिर कांग्रेस पर निशाना साध रहे थे. प्रधानमंत्री ने कांग्रेस की विदेशी शाखा ओवरसीज कांग्रेस के चीफ सैम पित्रोदा के उस बयान को लेकर पार्टी को घेरा है, जिसमें पित्रोदा ने भारत में अमेरिका जैसा विरासत कानून लागू करने की सिफारिश की है. पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि विपक्षी दल देश की जनता को लूटने की योजना बना रही है. उन्होंने कहा, आज कांग्रेस विरासत कर (inheritance tax) को लागू करने की बात कर रही है, जबकि उसके प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) ने ही 1984 में अपनी मां इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की मौत के बाद अपनी दौलत सरकारी खजाने में जाने से बचाने के लिए यह कानून जल्दबाजी में खत्म किया था. पीएम मोदी ने लोगों को विपक्षी पार्टी की उनके पैसे लूटने की योजनाओं से बचाने की कसम भी खाई.
पहले जान लीजिए क्या है विरासत कानून
विरासत कानून या संपत्ति शुल्क के लिए ओवरसीज कांग्रेस के चीफ सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) ने अमेरिका का उदाहरण दिया है, लेकिन यह दुनिया के कई देशों में लागू है. इस कानून के तहत यदि कोई व्यक्ति मरता है और उसके नाम एक खास सीमा से ज्यादा संपत्ति है तो उस संपत्ति में एक हिस्सा सरकार के पास चला जाता है और बाकी उसके उत्तराधिकारियों को मिलता है. अमेरिका में यह 7-8 राज्यों में लागू है, जबकि ब्रिटेन, जापान, फ्रांस और फिनलैंड जैसे कई अन्य देशों में भी इसे लागू किया गया है. इन देशों में इस टैक्स की दर 7% से 55% तक है यानी मरने वाले की संपत्ति में सरकार किसी जगह 7 फीसदी हिस्सा तो कहीं 55 फीसदी हिस्सा अपने खजाने में जमा कर लेती है. हालांकि दुनिया के करीब 11 देश अपने यहां साल 2000 के बाद विरासत कर की व्यवस्था को खत्म कर चुके हैं.
राजीव गांधी के विरासत कर को खत्म करने का सच क्या है?
पीएम मोदी ने भारत में भी पहले विरासत कर लागू होने का दावा किया है और इसे हटाने का आरोप कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर लगाया है. यह दावा पूरी तरह सही है. भारत में संपत्ति शुल्क अधिनियम 1953 के तहत विरासत कर लागू था, जिसके लागू होने पर मरने वाले की संपत्ति में से अधिकतम 85% हिस्सा सरकार अपने खजाने में शामिल कर लेती थी. इसमें ठीक वैसे ही स्लैब बने हुए थे, जिस तरह के स्लैब इनकम टैक्स (Income Tax) के तहत बने हुए हैं यानी मरने वाले की हैसियत के हिसाब से विरासत कर की सीमा तय होती थी.
भारत में करीब 3 दशक तक चले इस कानून को राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री बनने पर 1 अप्रैल 1984 को तत्कालीन वित्त मंत्री वीपी सिंह (बाद में प्रधानमंत्री बने) की मदद से खत्म कर दिया था. उस समय इंदिरा गांधी की मौत को महज 1 महीना ही हुआ था. इस कानून को खत्म करने के करीब 1 महीने बाद इंदिरा गांधी की वसीयत सामने आई थी, जिसमें उनकी 21.50 लाख रुपये की संपत्ति का बंटवारा उनके तीनों पोते-पोती राहुल गांधी, वरुण गांधी व प्रियंका गांधी में किया गया था. इस कानून को खत्म करने की टाइमलाइन के कारण ही राजीव गांधी पर अपनी दौलत बचाने के लिए यह कानून खत्म करने के आरोप लग रहे हैं.
पीएम मोदी ने क्या कहा है रैली में?
मुरैना में रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कांग्रेस ने धर्म के आधार पर बंटवारा स्वीकार कर देश के हाथ काट दिए. इसके बाद भी लगातार कांग्रेस ने पाप किए हैं. आज कांग्रेस विरासत कर लाने की जरूरत बता रही है, जबकि राजीव गांधी ने अपनी मां इंदिरा गांधी के मरने पर अपनी दौलत सरकार के पास जाने से बचाने के लिए खुद विरासत कर को खत्म कर दिया था. उन्होंने वोटर्स को चेतावनी देते हुए कहा, यदि विपक्षी दल सत्ता में आ गया तो लोगों की आधी से ज्यादा कमाई को विरासत कर के जरिये छीन लेगा.
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