Lok Sabha Elections 2024: ताई सुप्रिया सुले या फिर वहिनी सुनेत्रा किसका होगा बारामती

| Updated: Apr 02, 2024, 01:47 PM IST

महाराष्ट्र सीट से भाभी सुनेत्रा पवार बनाम ननद सुप्रिया सुले होगा.( बाएं से दाएं)

पिछले 50 वर्षों से अधिक समय से महाराष्ट्र की Baramati Lok Sabha Seat पवार परिवार का गढ़ रहा है. सुप्रिया सुले यहां से तीन बार चुनाव जीत कर लोकसभा आ चुकी हैं और वह इस टर्म की बेस्ट सांसद से भी नवाजी गई हैं.

पिछले 50 वर्षों से अधिक समय से महाराष्ट्र की बारामती सीट पर पवार परिवार का गढ़ रही है. सीटों का बंटवारा हो या फिर उम्मीदवारों का चयन राजनीतिक पार्टियां हर एक कदम फूंक फूंक कर रख रही हैं. वैसे तो चुनाव में हर एक सीट, हर पार्टी के लिए जीतनी जरूरी होती है लेकिन ये तब और महत्वपूर्ण हो जाती है जब एक ही परिवार के लोग एक ही सीट पर आमने सामने हों. ऐसी ही एक सीट है महाराष्ट्र की बारामती, जो अभी तक पवार का गढ़ मानी जाती रही है. 

नेशनल कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) का गढ़ मानी जाने वाली सीट पर पिछले तीन बार की सांसद सुप्रिया सुले के सामने उनकी  ही भाभी यानी अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार सामने होंगी. 

ननद भाभी की लड़ाई और नोंक- झोंक तो हर घर में लगभग देखने को मिलती रही है. अब चुनावी मैदान में ये देखने का मिलेगा..हालांकि इस सीट पर- भाभी के सामने आने से सुप्रिया सुले ने कह दिया है कि, "वो मेरी मां की तरह हैं." महाराष्ट्र में भाभी को वहिनी कहा जाता है...सुले ने सुनेत्रा को  बीजेपी- एनसीपी गठबंधन के बाद बारामती से सीट दिए जाने पर कहा कि, "बीजेपी साजिश रच रही है. वो मेरी भाभी हैं मां की तरह हैं..पिछले 33 वर्षों में हमारी बहस तक नहीं हुई."


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Baramati सीट का समीकरण
महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटें हैं जिसमें सबसे अधिक चर्चा बारामती सीट की हो रही है. बारामती सीट का समीकरण जाति से जुड़ा हो या फिर पवार के गढ़ से दोनों ही मामले में राजनीतिक रूप से खूब चर्चा में रही है. खुद पवार यहां से लगातार छह बार विधायक रहे हैं तो छह बार सांसद भी रहे हैं ..एक बार अजित पवार भी यहां से सांसद रहे हैं.

 शरद पवार ने साल 1967 में पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता और फिर पीछे पलटकर नहीं देखा. वह  1972, 1978, 1980, 1950, और 1990 में विधानसभा चुनाव जीते. यही नहीं शरद पवार ने अपना पावर लोकसभा चुनाव में भी दिखाया और साल 1992, 1996, 1998, और 2004 लोकसभा चुनाव में जीते और सदन तक पहुंचे. फिलहाल  सुप्रिया यहां से सांसद हैं और वह 2009 से लगातार जीतकर लोकसभा पहुंच रही हैं. जबकि एकबार अजित पवार इस सीट पर चुनाव जीत चुके हैं.

पिछले तीन बार से 2009 से 2019 तक सुप्रिया यहां की सांसद  हैं..चौथी बार 2024 में यहां से चुनाव लड़ने जा रही हैं.

पहले लोकसभा निर्वाचन चुनाव जब 1952 में हुए तब यह सीट अस्तित्व में नहीं थी. पुणे जिले में आने वाली यह लोकसभा सीट 1957 में दूसरे संसदीय चुनाव के दौरान इस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बनाई गई. 

कौन हैं सुनेत्रा
हालांकि, सुनेत्रा के लिए चुनावी क्षेत्र नया नहीं है.चूंकि अजित पवार को शरद पवार का उत्तराधिकारी माना जा रहा था और परिवार की बात थी तो सुनेत्रा चाचा और ननद के लिए भी लगातार चुनावी समर में मदद के लिए जाती रहती थीं.

सुनेत्रा पवार एनवायर्नमेंटल फोरम ऑफ इंडिया की संस्थापक हैं, 2010 से वो  एनजीओ चला रही हैं. 2011 में वह फ्रांस में विश्व उद्यमिता मंच थिंक टैंक की सदस्य रही हैं...

उनका भी नाता पॉलिटिकल रहा है. उनके भाई बड़े नेता और पूर्व मंत्री पदमसिंह पाटिल है..भतीजा राणा जगजीत सिंह उस्माना बाद से भाजपा के ही विधायक हैं.

Baramati में बंटवारा
बारामती राजनीतिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण सीट है..छह विधानसभा सीटों से मिलकर बनी इस सीट में बारामती और इंदारपुर में अजित पवार का दबदबा है. 

दौंड और खंडकवासला में बीजेपी का और भोर और पुरंदर पर कांग्रेस का कब्जा है.

इस सीट का 70 फीसदी वोटर ग्रामीण है..जबकि 30 फीसदी शहरी वोटर हैं..जहां तक वोटरों के जातीय समीरकण की बात है तो पवार 70 000 हैं, गायकवाड़- 30,000, शिंदे- 65000, चौहान-25000, ब्राह्मण 80,000 और एससी -2.5 लाख लोग हैं.

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