डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने एक बार फिर से मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों को लेकर विवादित बयान दिया है. मनसे प्रमुख ने कहा है कि मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों को 3 मई तक बंद करना ही होगा नहीं तो उनकी पार्टि स्पीकरों पर हनुमान चालीसा बजाएगी. राज ठाकरे ने आगे कहा, " यह सामाजिक विषय है न कि धार्मिक. मैं राज्य सरकार से यह कह देना चाहता हूं कि हम इस मुद्दे पर पीछे नहीं हटेंगे. आप जो भी करना चाहते हो कर लो."
गोवा में भी उठी लाउडस्पीकरों को बैन करने की मांग
गोवा के एक दक्षिणपंथी समूह ने मंगलवार को मस्जिदों में अजान के लिए लाउडस्पीकर के अवैध इस्तेमाल को रोकने के संबंध में एक प्रशासनिक आदेश को लागू करने की मांग की. हिंदू जनजागृति समिति (एचजेएस) के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को उत्तरी गोवा के जिलाधिकारी मामू हेगे से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा.
एचजेएस के गोवा संयोजक मनोज सोलंकी ने कहा कि उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने प्रशासन को निर्देश दिया था कि वह मार्च 2021 में वरुण प्रियोलकर द्वारा दायर एक याचिका पर संज्ञान ले जिसके बाद उत्तरी गोवा के अतिरिक्त कलेक्टर ने अजान के लिए लाउडस्पीकर के अवैध इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने उत्तरी गोवा के अतिरिक्त कलेक्टर को प्रियोलकर की शिकायत का समाधान करने का निर्देश दिया है.
गांधीवादी डॉ. अभय बंग ने कही यह बात
मशहूर गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. अभय बंग ने कहा कि अभी लोगों के दिमाग में भरी जा रही धार्मिक घृणा की भावना अगले 70 वर्षों तक बरकरार रहेगी. उन्होंने कहा कि इससे युवा सर्वाधिक प्रभावित होंगे. डॉ. बंग ने रविवार को सर्वोदय आश्रम में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पूंजीवाद, वैश्विक तापमान में वृद्धि और हिंसा सहित कई मुद्दों पर बात की.
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के मन में धार्मिक घृणा की भावना भर रही है, जो विष अभी फैलाया जा रहा है वह अगले 70 वर्ष तक बना रहेगा, युवाओं पर इसका असर बड़ों से कहीं ज्यादा होता है.’’ उन्होंने दावा किया कि वर्ष 1980 से देश में कट्टरवाद बढ़ गया. उन्होंने वर्ष 1984 में सिर्फ दो लोकसभा सीट हासिल करने वाली पार्टी भाजपा की मौजूदा ताकत का हवाला दिया.
उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद-राम मंदिर मुद्दे को लेकर भाजपा ने अपना दबदबा कायम कर लिया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने शिक्षण संस्थानों, साहित्य, नाटक आदि का उपयोग करके लोगों के दिमाग में परिवर्तन करता है. डॉ. बंग के मुताबिक, आरएसएस अगले 100 वर्ष को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति तैयार करता है.