डीएनए हिंदी: मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित पशुपतिनाथ शिव मंदिर में एक शिवलिंग की स्थापना की जानी थी. शिवलिंग काफी भारी था, ऐसे में मंदिर के जल प्रांगण में यह शिवलिंग स्थापित करने में सबके पसीने छूट रहे थे. यहां तक कि वहां उपस्थित इंजीनियर का दिमाग भी काम नहीं कर रहा था. इस दौरान एक मुस्लिम मिस्री की तरकीब काम आई. अब मिस्त्री के इस आइडिया की जिले में ही नहीं देश भर में तारीफ हो रही है.
क्या थी मुश्किल
मंदसौर में अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर है. यहां 1008 शिवलिंग की आकृति वाले शिवलिंग की स्थापना की जानी थी. इस शिवलिंग की स्थापना के लिए गुजरात से जलाधारी बनवाकर लाई गई थी. इसका वजन करीब साढ़े तीन टन बताया जाता है. वहीं शिवलिंग का वजन करीब डेढ़ टन है. जब शिवलिंग को इस जलाधारी में स्थापित करने की बारी आई तो शिवलिंग वहां तक पहुंचाने में दिक्कत हो रही थी. इंजीनियर भी कुछ सोच नहीं पा रहे थे कि क्या किया जाए.
क्या था मिस्त्री का आइडिया
वहां मौजूद मकबूल हुसैन नाम के एक मिस्री ने जब यह मुश्किल देखी तो उन्हें एक आइडिया आया. इस आइडिया को डरते हुए उन्होंने वहां मौजूद अधिकारियों से शेयर किया तो सभी को यह आइडिया भा गया. मकबूल ने कहा कि अगर बर्फ के ऊपर शिवलिंग को रखा जाए तो बर्फ पिघलने के साथ-साथ धीरे-धीरे शिवलिंग जलाधारी के अंदर चला जाएगा. यह आइडिया सबको जम गया और फिर ऐसा ही किया गया.
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कैसे हुई स्थापना
मकबूल के आइडिया पर बर्फ मंगवाकर उसे एक गोलाकार में काटते हुए उस पर शिवलिंग रख दिया गया. जैसे-जैसे बर्फ पिघलती गई शिवलिंग अपनी जगह लेता गया. इसके बाद सबने मकबूल हुसैन की तारीफ भी की. दरअसल मकबूल कई मंदिर बनाने में मिस्त्री का काम कर चुके हैं. वह कभी स्कूल नहीं गए, लेकिन सऊदी अरब में बतौर मिस्री 8 साल तक काम कर चुके हैं.
बताया जा रहा है कि चारों ओर से खंबे होने के कारण क्रेन अंदर नहीं आ पा रही थी. वहीं शिवलिंग के बेलनाकार होने की वजह से स्थापित करने में भी परेशानी हो रही थी. ऐसे में जब मकबूल का आइडिया मिला तो भी इसे फिट करने में लगभग 14 घंटे का वक्त लग गया.
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