डीएनए हिंदी: चंबल इलाके की पहचान आज भी बीहड़ और बंदूक से ही जुड़ी हुई है. चंबल घाटी में कुख्यात डकैतों का हथियार टांगे नजर आना नई बात नहीं है. लोग सुरक्षा के मद्देनजर भी हथियार रखते हैं. अब महिलाएं भी चंबल में बड़ी संख्या में हथियार रख रही हैं. महिलाएं भी आत्मरक्षा के लिए हथियार टांगने लगी हैं.
मध्य प्रदेश के भिंड जिले में महिलाएं अपने परिवार की सुरक्षा के लिए बंदूक उठा रही हैं. महिलाएं बंदूक रखने के लिए बड़ी संख्या में जिला प्रशासन में आवेदन कर रही हैं. लाइसेंसी बंदूक रखने वाली महिलाओं की संख्या भी 150 से ज्यादा है.अटेर क्षेत्र में रहने वाली नीरज जोशी की एक तस्वीर हाल ही में वायरल हुई थी. वह अपने कंधे पर बंदूक टांगे कलेक्ट्रेट में नज़र आईं थीं. ऐसे ही कई और महिलाएं पहले भी नजर आ चुकी हैं. दूसरे जिलों में जहां यह बात अलग लग सकती है, वहीं भिंड में अब यह सामान्य बात हो गई है.
यूक्रेन को लड़ने के लिए कौन दे रहा है हथियार?
क्यों महिलाएं थाम रही हैं बंदूक?
नीरज जोशी बंदूक की लाइसेंस हासिल करने पर कहती हैं, 'चार साल पहले पति का देहांत हो गया था. घर में बुज़ुर्ग सास-ससुर और तीन बच्चे हैं. बीहड़ में चोर-डाकुओं का डर बना रहता है. गांव में गुंडे बदमाशों का भी डर बना रहता है. इस वजह से सुरक्षा के लिए हथियार रखती हूं.'
नीरज जोशी भी चंबल के बीहड़ इलाके से हैं. यहां कभी डकैतों का मूवमेंट हुआ करता था. वक्त के साथ बदलाव तो हुआ लेकिन गांव में स्थितियां वैसी ही हैं. बात-बात पर अक्सर विवाद भड़क जाता है. गुंडे-बदमाशों की डर की वजह से घरों में लोग हथियार रखते हैं.
नीरज जोशी ने इसी साल हथियार के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. उन्होंने लाइसेंस बनवाने के बाद बंदूक खरीदा है. जिले में नीरज अकेली महिला नही हैं जिनके पास आर्म लाइसेंस है. इनके अलावा भी 4-5 महिलाओं ने आर्म लाइसेंस के लिए आवेदन किया है और जो अभी प्रोसेस में हैं. यानी आने वाले दिनों में इन महिलाओं के हाथों में भी बंदूक देखी जा सकती है.
Bizzare: हिरासत से भागने के लिए कैदी ने अपनाई ट्रिक, अंडरवियर और मोजे में ही हो गया फरार
भिंड में 150 से ज्यादा महिलाओं के पास है लाइसेंसी बंदूक
भिंड जिले में आर्म शाखा प्रभारी और अपर कलेक्टर प्रवीण कुमार फुलपगारे ने बताया कि फिलहाल जिले में करीब 23,500 आर्म लाइसेंस आवंटित हैं, जिनमें राइफल और पिस्टल भी शामिल है. ज्यादातर लाइसेंसधारी पुरुष हैं लेकिन 150 से ज्यादा आर्म लाइसेंस महिलाओं के नाम दर्ज हैं. देखने में यह आंकड़ा कुल संख्या के आगे बहुत छोटा है लेकिन यह भी एक सामाजिक परिवर्तन का संकेत दे रहा है.
गूगल पर हमारे पेज को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें. हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.