Maharashtra Assembly Elections 2024: मुंबई में PM Modi की रैली में नहीं पहुंचे Ajit Pawar, क्या MVA में पड़ गई है दरार?

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Nov 15, 2024, 12:10 AM IST

Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन में सीट बंटवारे के बाद से ही NCP (Ajit Pawar) के तेवर तीखे चल रहे हैं. वे कई मौकों पर अपने ही सहयोगी दलों की आलोचना कर चुके हैं.

Maharashtra Assembly Elections 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Vidhan Sabha Chunav 2024) में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के प्रचार में पूरा दमखम झोंक रखा है. गुरुवार को भी उन्होंने कई जगह रैलियां कीं, जिनमें मुंबई के दादर स्थित ऐतिहासिक शिवाजी पार्क मैदान में भी उनकी जनसभा आयोजित की गई. इस जनसभा में जमकर भीड़ उमड़ी, लेकिन मंच पर BJP नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के एक सहयोगी दल की गैरमौजूदगी सभी ने नोटिस की. इस रैली से NCP (Ajit Pawar) के नेताओं ने अपनी दूरी बनाए रखी, जिनमें खुद अजित पवार भी शामिल रहे. इससे वे सवाल एक बार फिर खड़े हो गए हैं, जो भाजपा के साथ गठबंधन में होने के बावजूद अजित पवार के बयानों में भगवा दल की आलोचना के कारण लगातार पूछे जा रहे हैं. इससे ये भी संकेत मिले हैं कि चुनाव प्रचार में एकसाथ होने का दावा करने के बावजूद महायुति के दलों के बीच कहीं न कहीं दरार आ चुकी है.

डिप्टी सीएम होने के बावजूद नहीं पहुंचे अजित
शिवाजी पार्क की रैली में राज्य सरकार में डिप्टी सीएम होने के बावजूद अजित पवार शामिल नहीं हुए. उनकी पार्टी के बाकी सीनियर नेता भी रैली में दिखाई नहीं दिए. इसके उलट शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और RPI (रामदास अठावले) के नेता मंच पर मौजूद रहे. इन पार्टियों के उम्मीदवारों ने भी प्रधानमंत्री मोदी की रैली में उत्साह के साथ भाग लिया है. 

इन कारणों से बिगड़ी है BJP-NCP के बीच बात?
अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और भाजपा के बीच बात बिगड़ने के संकेत लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही मिलने लगे थे. इन चुनावों में एनसीपी को महज एक लोकसभा सीट पर जीत मिली थी, जबकि NCP के मुख्य गुट यानी NCP (शरद पवार) को 7 सीट हासिल हुई थीं. इसके बाद से ही अजित पवार के ऐसे बयान सामने आ रहे थे, जिनसे आपस में तालमेल की कमी के संकेत मिल रहे थे. यह दरार विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद और ज्यादा बढ़ती दिखाई दी. अजित पवार ने पहले सीट बंटवारे में अपने खाते में कम सीटें आने को लेकर नाखुशी जताईं. फिर उन्होंने नवाब मलिक (Nawab Malik) को टिकट दिया, जिसका विरोध भाजपा ने कर दिया और उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया. नवाब मलिक की बेटी सना मलिक के खिलाफ भी अणुशक्ति नगर विधानसभा सीट पर शिवसेना (शिंदे) ने अपना उम्मीदवार उतार दिया था. हालांकि बाद में शिवसेना उम्मीदवार ने नाम वापस ले लिया. माना जा रहा है कि इन सब कारणों से अजित पवार भाजपा से नाराज चल रहे हैं.

दरार के इस तरह भी मिले संकेत
अजित पवार के बयानों और उनके कई अन्य कामों से भी लगातार दरार के संकेत मिल रहे हैं. पहले उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'बटेंगे तो कटेंगे' वाले नारे का खुलेआम मंच से विरोध किया. इसके बाद उन्होंने शरद पवार के बड़े फोटो वाले पोस्टरों का इस्तेमाल अपने चुनाव प्रचार में किया. इस बीच उनके शरद पवार खेमे में वापसी की कोशिश की भी चर्चाएं सामने आई थीं. इन सब बातों के बीच अब पीएम मोदी की रैली से उनकी गैरमौजूदगी ने एक तरीके से इस बात पर मुहर लगा दी है कि भाजपा और शिवसेना (शिंदे) के साथ उनके समीकरण अच्छे नहीं चल रहे हैं.

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