महाराष्ट्र में क्या होगा सरकार का भविष्य, राज्यपाल या स्पीकर किसकी चलेगी?

Written By रईश खान | Updated: Jun 24, 2022, 08:26 AM IST

उद्धव ठाकरे. (फाइल फोटो-PTI)

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में जिस तरह राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है कि उससे राज्यपाल और स्पीकर की भूमिका अहम होगी.

डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र (Maharashtra) में सियासी संकट बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में उद्धव ठाकरे सरकार की क्या स्थिति होने वाली है इसको लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. क्योंकि महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके एकनाथ शिंदे दावा कर रहे हैं कि उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है. जबकि शिवसेना कह रही है कि 20 से ज्यादा बागी विधायक उनके संपर्क में हैं और वापस आना चाहतें हैं. राज्य में गहराते इस राजनीतिक संकट में अब राज्यपाल और स्पीकर की भूमिका अहम होती जा रही है.

बागी विधायकों पर क्या फैसला लेना है, ये तय करना अब स्पीकर का काम होगा. हालांकि राज्य में कोई स्थायी स्पीकर नहीं है. जिसके चलते सारा कार्यभार डिप्टी स्पीकर के कंधों पर निर्भर है. वर्तमान में महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि झिरवाल हैं, जो NCP के विधायक हैं. झिरवाल को तय करना होगा कि क्या बागी विधायक दल-बदल कानून के तहत आते हैं या नहीं. उनकी दलीलों को स्वीकार करना या ठुकराते हुए अपनी सोच से निर्णय लेते हुए उनकी योग्यता-अयोग्यता पर फैसला लेना अब डिप्टी स्पीकर की जिम्मेदारी होगी. यह सरकार के साथ स्पीकर के लिए बेहद कठिन समय होगा.

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राज्यपाल की भूमिका भी होगी अहम
जानकारों का कहना है कि इसमें राज्यपाल की भूमिका भी अहम हो जाएगी. उन्हें देखना होगा कि कैबिनेट का विधानसभा भंग करनी की सिफारिश क्या सरकार के अल्पमत यानी बहुमत खोने के डर से की गई है. सरकार की स्थिति दरअसल क्या है? राज्यपाल को देखना होगा कि क्या ऐसी स्थिति में कैबिनेट की सलाह मानी जाए या फिर विधासभा को सस्पेंशन पार्टिकल की स्थिति में रखकर अन्य विकल्पों पर विचार किया जाए. यानी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता दिया जाए. या फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए.

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राष्ट्रपति शासन की संभावना भी प्रबल
राज्य में स्थिति ऐसी बनती जा रही है कि राष्ट्रपति शासन की संभावना भी प्रबल है. अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा असर राष्ट्रपति चुनाव पर पड़ेगा. विधानसभा के लंबित रखते हुए राज्यपाल राष्ट्रपित शासन हो तो विधायक और बागी विधायक भी मतदान कर सकेंगे. वहीं, स्पीकर ने बगावत करने वाले विधायकों को आयोग्य घोषित कर दिया तो उनकी सदस्यता खत्म हो जाएगी और वोट नहीं डाल सकेंगे. ऐसे में उनके पास हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता बचेगा. फिर कोर्ट फैसला करेगी की वो वोट डाल सकते हैं या नहीं.

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