डीएनए हिंदी: आज यानी 14 जनवरी को देश भर में बड़े ही धूम-धाम से मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का त्योहार मनाया जा रहा है. कहा जाता है की इस दिन सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करते हैं और महीने भर रहकर जाते हैं. यही कारण है कि इसे मकर संक्रांति कहा जाता है.
इस त्योहार को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. जैसे कुछ भागों में यह फसल कटाई का पर्व है तो कहीं दान का. तमिलनाडु में इसे पोंगल, उत्तर भारत में संक्रांति, उड़ीसा में मकर मेला, पंजाब में लोहड़ी और आसाम में भोगल बिहु के नाम से जाना जाता है.
ऐसे में अगर एक चीज सामान्य है तो यह कि इन सभी जगहों पर इस अवसर पर कुछ विशिष्ट पकवान बनाए जाते हैं जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी बेहद अच्छे माने गए हैं. हालांकि विभिन्न जगहों पर यह पकवान भी अलग ही होते हैं. आइए जानें इनके बारे में-
उत्तर भारत में बनाए जाते हैं तिल और गुड़ के पकवान
उत्तर भारत के लोग मकर संक्रांति का त्योहार तिल और गुड़ से बने लड्डू , चिक्की, रेवड़ी और गजक खाकर मनाते हैं.
स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें तो तिल और गुड़ दोनों में औषधीय और पोषक गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. तिल अच्छे कोलेस्ट्रोल (HDL) की मात्रा को बढ़ाता है और बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करता है, इससे हृदय रोगों का खतरा कम हो जाता है. वहीं गुड़ आयरन का एक अच्छा स्त्रोत होने के कारण खून बढ़ाने में प्रभावी होता है. इसे एसिडिटी खत्म करने में भी मदद मिलती है.
दक्षिण भारत-तमिलनाडु में बनाया जाता है मीठा पोंगल
तमिलनाडु में मकर संक्रांति का त्यौहार फसल कटाई के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर यहां चावल, दाल, मसालों, घी और गुड़ से बना मीठा पोंगल खाया जाता है.
खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ इसके कुछ आयुर्वेदिक फायदे भी हैं. जैसे यह एसिडिटी से राहत दिलाने में असरदार है. साथ ही इसमें सभी प्रकार के पोषक तत्व और मिनरल पाए जाते हैं.
यूपी-बिहार और गुजरात में खाई जाती है खिचड़ी
इन राज्यों के कुछ भागों में संक्रांति के दिन चावल और मूंग दाल की खिचड़ी खाई जाती है.
सेहत की नजर से देखें तो मूंग की दाल त्रिदोषों (वात, कफ और पित्त) को संतुलित करती है. खिचड़ी में डाला जाने वाला घी ताकत के साथ-साथ जोड़ों के दर्द में भी आराम देता है. खिचड़ी एक संपूर्ण आहार है और इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, फाबर और सभी मिनरल पाए जाते हैं.
राजस्थान में तैयार की जाती है घेवर-फीणी
राजस्थान में आज के दिन घी, मैदे और चीनी से बनी मिठाई घेवर-फीणी खाई जाती है.
यह मिठाइयां वात दोष को नियंत्रित करती है. इनमें डाला जाने वाला देशी घी अच्छे कोलेस्ट्रोल का स्त्रोत है जो शारीरिक और मानसिक ताकत बढाने में मदद करता है.