डीएनए हिंदी: मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से इंटरनेट सेवाएं बहाल करने के लिए कहा है. हाई कोर्ट ने कहा है कि नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा तय करते हुए मोबाइल फोन पर इंटरनेट सेवाएं बहाल की जाएं. हाई कोर्ट ने कहा है कि यह टेस्ट करें कि क्या इंटरनेट से बैन हटाा या जा सकता है.
मणिपुर हाई कोर्ट ने इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई 25 जुलाई को करेगी. कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद, जस्टिस ए बिमल और न्यायमूर्ति ए गुनेश्वर शर्मा की बेंच ने कहा, 'समिति द्वारा सुझाए गए सुरक्षा उपायों का अनुपालन तय करते हुए फाइबर टू द होम कनेक्शन के मामले में, गृह विभाग मामले दर मामले के आधार पर इंटरनेट सेवा प्रदान कर सकता है.'
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
बारह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने कोर्ट को सूचित किया था कि इंटरनेट सेवा ब्रॉडबैंड कनेक्शन के जरिए दी जा सकती है. राज्य सरकार ने उच्च अधिकारियों को 10 एमबीपीएस की अधिकतम गति की सीमा के साथ इंटरनेट लीज्ड लाइन पर प्रतिबंध हटाने पर विचार करने का प्रस्ताव दिया था.
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क्या है मणिपुर का हाल?
मणिपुर में मैतेई और कुकी के बीच जारी जातीय हिंसा अभी तक थमी नहीं है. मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. इंफाल पश्चिम जिले में शुक्रवार रात एक उग्र भीड़ ने दो गाड़ियों को फूंक दिया जबकि इंफाल पूर्व जिले में दो समुदायों के बीच रुक-रुककर गोलीबारी हो रही है.
कंगला किले के पास 150-200 लोगों की उग्र भीड़ ने दो वाहनों में आग लगा दी और पुलिस से हथियार छीनने की भी कोशिश की, जिसके कारण सुरक्षाबलों को भीड़ पर गोलियां चलानी पड़ी. बहरहाल, गोलीबारी में किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है.
हिंसक हो गई है भीड़, जगह-जगह हो रही हिंसा
सेना और असम राइफल्स की एक-एक टुकड़ी को शुक्रवार रात को हिंसा पर काबू पाने के लिए सोंग्दो गांव में भेजा गया. उन्होंने बताया कि शुक्रवार रात को कंगला किले के पास महाबली रोड पर 150-200 लोगों की भीड़ ने दो वाहनों को फूंक दिया. सूत्रों के अनुसार, भीड़ में शामिल लोगों को संदेह था कि इन गाड़ियों का इस्तेमाल घरेलू सामान को एक खास जातीय समुदाय तक पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. (इनपुट: भाषा)
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