डीएनए हिंदी: पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर (Manipur Violence) में पिछले 3 मई से हिंसा जारी है. पिछले 24 घंटों में एक बार फिर भड़की हिंसा ने चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है. हिंसा की अलग-अलग घटनाओं फायरिंग के चलते एक पुलिस कमांडो समेत 4 लोगों की मौत हो गई. बता दें कि बिष्णुपुर जिले के मोइरंग तुरेल में संदिग्ध उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान पुलिस कमांडो पुखरामबम रणबीर के सिर में गोली लग गई, अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में उन्होंने दम तोड़ दिया. इसके अलावा एक नाबालिग और दो अन्य लोगों की भी जान चली गई है.
दरअसल, शुक्रवार को सुबह बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों की सीमा पर बसे गांवों में कुकी और मैतेई गुट के लोगों ने एक-दूसरे पर फायरिंग की थी. इस फायरिंग में 3 लोगों को मौत हो गई है, जिसमें एक नाबालिग लड़का भी शामिल था. पहाड़ी इलाकों से आई भीड़ ने घाटी में कुछ गांवों में आग लगाने की कोशिश की, सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया था.
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शुक्रवार के दिन अलग-अलग जगहों पर हुई झड़प
रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को भी दोनों समुदायों के लोगों के बीच फायरिंग चलती रही. इसके चलते इन इलाकों में सुरक्षाबलों की मौजूदगी बढ़ा दी गई है. मणिपुर हिंसा में जुलाई महीने में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है. बता दें कि 4 जुलाई को थोउबल जिले में भीड़ ने भारतीय रिजर्व बटालियन के कैंप पर हमला कर हथियार चुराने की कोशिश की थी. इसमें सुरक्षाबलों और हिंसक भीड़ के बीच झड़प हुई थी और एक शख्स की जान भी गई थी.
इंटरनेट पर लगा है बैन
बता दें कि 2 जुलाई को बिष्णुपुर-चुराचांदपुर सीमा पर दोनों समुदाय के लोग भिड़ गए थे. इसमें 3 लोगों की गोली लगने से जान चली गई. वहीं एक शख्स का सिर काट दिया गया था, जिससे राज्य में हिंसा ज्यादा भड़क गई थी. मणिपुर के ताजा हालातों को लेकर राज्य की सरकार से केंद्र सरकार संपर्क में है. इतना ही नहीं, राज्य में हिंसा के चलते इंटरनेट पर अभी भी बैन लगा हुआ था.
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अमरिका जता चुका है चिंता
मणिपुर की हिंसा अब भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय लिहाज से भी चिंताजनक होती जा रही है. अमेरिका ने भी गुरुवार को मणिपुर में जारी हिंसा पर चिंता जाहिर की थी. भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि अगर भारत मदद मांगता है तो हम उसके लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा है कि हम जानते हैं कि ये भारत का आंतरिक मसला है, हम जल्द-से-जल्द शांति की उम्मीद करते हैं. वहां के हालातों पर हमें कोई रणनीतिक चिंता नहीं है, हमें लोगों की चिंता है.
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