डीएनए हिंदी: Manipur News- पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में पिछले साल 3 मई से अशांति फैली हुई है. कुकी आदिवासियों और मैतेई समुदाय के बीच छिड़ा जातीय संघर्ष कई महीने बाद दिसंबर के दौरान थमा हुआ दिखाई दिया था, लेकिन अब फिर अचानक हिंसा की शुरुआत हो गई है. इस नए सिरे से छिड़ी हिंसा में मणिपुर पुलिस के दो कमांडो की मौत के बाद नए सवाल खड़े हो गए हैं. मणिपुर के राज्य सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने गुरुवार को ताजा हिंसा के पीछे म्यांमार के आतंकियों का हाथ होने का दावा किया है. उन्होंने मीडिया से कहा कि बुधवार की सुबह बड़ी संख्या में कुकी आतंकियों ने तीन लोकेशन पर एक साथ पुलिस कमांडो पोस्ट पर फायरिंग शुरू कर दी. सीमावर्ती शहर मोरेह में हुए इस हमले के पीछे म्यांमार से घुसपैठ करके आए आतंकियों का हाथ हो सकता है. बता दें कि पुलिस कमांडो दस्ते पर यह हमला मणिपुर की राजधानी इंफाल से 110 किलोमीटर दूर हुआ था, जिसमें दो पुलिस कमांडो शहीद हो गए हैं.
मोरेह में एक्टिव हैं PDF उग्रवादी, बर्मा से मिल रही मदद
CRPF के पूर्व महानिदेशक कुलदीप सिंह ने म्यांमार में सेना समर्थित जुंटा के खिलाफ लड़ रहे संगठन पीपल्स डिफेंस फोर्स (PDF) का हवाला दिया. उन्होंने कहा, मोरेह में PDF उग्रवादी सक्रिय हैं और शायद उन्हें बर्मा (म्यांमार) की तरफ से मदद मिल रही है. यह मदद मोरेह में राज्य के सुरक्षाबलों पर हमले में भी मिली है. सुरक्षा बल पूरी तरह तैयार हैं.
अब तक फायरिंग दूर से हो रही थी, लेकिन कल करीब से की गई
सिंह ने कहा कि हमले कई दिन से चल रहे हैं, लेकिन गोलियों की आवाजें आसपास से नहीं बल्कि दूर से आ रही थीं. कल के हमले में ये आवाजें बेहद करीब से आई हैं. पुलिस कमांडो और BSF के साथ मिलकर असम राइफल्स ने इसका बढ़िया जवाब दिया, लेकिन एक कमांडो के सिर में गोली लगी और बाद में उसकी मौत हो गई. सुरक्षा बल लगातर फायरिंग में जुटे थे. गोलाबारी शांत होने के बाद हुई कार्रवाई में 10 IRB (भारतीय रिजर्व बल) का एक और कमांडो मारा गया. उन्होंने इस बात को खारिज किया कि घाटी में एक्टिव मिलिशिया (मैतेई विद्रोही) पुलिस यूनिफॉर्म में मोरेह में भड़की हिंसा में शामिल थे.
मोरेह में जला दी गई है कई बिल्डिंग
कुलदीप सिंह का यह बयान मोरेह में अज्ञात लोगों द्वारा एक स्कूल और कुछ अन्य बिल्डिंग्स को पूरी तरह जलाकर राख करने की घटना के एक दिन बाद आया है. मोरेह में कुकी आदिवासी सुरक्षा बलों को हटाए जाने की मांग कर रहे हैं ताकि पारंपरिक विभाजन रेखा पर पूरी तरह विश्वास का माहौल बन सके. कुकी आदिवासी आरोप लगा रहे हैं कि सुरक्षा बल उनका शोषण कर रहे हैं और उनकी बिल्डिंगों में आग लगा रहे हैं. राज्य सरकार ने इस आरोप को खारिज किया है.
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