मणिपुर में महिलाओं से दरिंदगी, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य-केंद्र को दी ये नसीहत

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 20, 2023, 10:36 PM IST

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं के साथ दरिंदगी के वायरल वीडियो पर कहा है कि तत्काल राज्य और केंद्र सरकार इस प्रकरण पर एक्शन लें.

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मणिपुर में दो महिलाओं के साथ हुई बर्बरता पर गुरुवार को अहम टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मणिपुर में दो महिलाओं को नंगा कर उनकी परेड कराने के वीडियो से अदालत बहुत व्यथित है और हिंसा के लिए महिलाओं को साधन की तरह इस्तेमाल करना किसी भी संवैधानिक लोकतंत्र में पूरी तरह अस्वीकार्य है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस वीडियो पर संज्ञान लिया और केंद्र और मणिपुर सरकार को तत्काल एक्शन लेने का निर्देश दिया है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तनावपूर्ण माहौल में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल करना पूरी तरह अस्वीकार्य है. ये दृश्य संविधान और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन दर्शाते हैं. मणिपुर में दो महिलाओं को जिस तरीके से घुमाया गया है, उसके कल आए वीडियो से हम बहुत व्यथित हैं.

'अगर आप नहीं करेंगे काम तो हम लेंगे एक्शन'

चीफ जस्टिस ने कहा, 'मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार वाकई में आगे आए और कार्रवाई करे क्योंकि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है. हम सरकार को कार्रवाई के लिए थोड़ा समय देंगे और अगर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है तो फिर हम कार्रवाई करेंगे.'

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि साम्प्रदायिक रूप से तनावपूर्ण इलाके में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल बहुत व्यथित करने वाला है और यह पूरी तरह अस्वीकार्य है. 

सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहा- हम वारदात पर व्यथित

पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'मणिपुर में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और हिंसा की घटना से संबंधित वीडियो कल सामने आया है और अदालत इससे बहुत व्यथित है. मीडिया में जो कुछ दिखाया जा रहा है वह संवैधानिक मानवाधिकारों का उल्लंघन और अतिक्रमण है.'

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पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत को अपराधियों को जवाबदेह ठहराने और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराया जाना चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. आदेश में कहा गया है, 'केंद्र सरकार और राज्य सरकार को तत्काल- उपचारात्मक, पुनर्वास संबंधी और निवारक कदम उठाने और अगली तारीख से पहले हलफनामा के माध्यम से शीर्ष अदालत को की गई कार्रवाई से अवगत कराने का निर्देश दिया जाता है.'

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा केंद्र-राज्य से हिसाब-किताब

आदेश में यह भी कहा गया है, 'शपथ पत्र केंद्रीय गृह सचिव और मणिपुर राज्य के मुख्य सचिव द्वारा दायर किया जाएगा. अदालत इस तथ्य से अवगत है कि बुधवार को सामने आया यह वीडियो चार मई का है लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.'

दोबारा न हो ऐसी वारदात

जैसे ही पीठ मामलों पर सुनवाई के लिए बैठी तो सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से अदालत आने के लिए कहा था. सीजेआई ने दोनों विधि अधिकारियों से कहा, 'दोषियों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए मई से लेकर अब तक क्या कार्रवाई की गई और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कार्रवाई कर रही है कि यह दोबारा न हो क्योंकि कौन जानता है कि यह अकेली घटना हो, अकेली घटना न हो, यह कोई प्रवृत्ति हो.'

हिंसा में हथियार की तरह हुआ महिलाओं का इस्तेमाल

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतिहास में और दुनियाभर में इन हालातों में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल होता रहा है लेकिन किसी संवैधानिक लोकतंत्र में यह अस्वीकार्य है. जेआई के विचारों से सहमति जताते हुए मेहता ने कहा कि ऐसी घटनाएं पूरी तरह अस्वीकार्य हैं. मेहता ने कहा कि सरकार भी इस घटना को लेकर बहुत चिंतित है और वह अदालत को इस संबंध में उठाए कदमों की जानकारी देंगे. 

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पीठ ने अपने आदेश में कहा कि न्यायालय उन दृश्यों से बेहद व्यथित हैं जो मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और यौन उत्पीड़न के बारे में मीडिया में सामने आए हैं. न्यायालय ने कहा, 'हमारा यह मानना है कि अदालत को उन कदमों के बारे में बताया जाए जो दोषियों को पकड़ने और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने उठाए हैं कि मणिपुर के तनावपूर्ण हालात में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो.'

28 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

पीठ ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 28 जुलाई की तारीख तय की है. चार मई का यह वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद से मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया है. इस वीडियो में दिख रहा है कि विरोधी पक्ष के कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमा रहे हैं. 

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में हिंसा पर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पहले कहा था कि उसका राज्य में तनाव बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और उसने अदालत की कार्यवाही के दौरान दोनों जातीय समूहों से संयम बरतने के लिए कहा था. (इनपुट: भाषा)

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