INDIA, कांग्रेस और पवार, कहां से जुड़े हैं जालना हिंसा के तार, पढ़ें 8 जरूरी बातें
Jalna में धुले-शोलापुर हाइवे पर प्रदर्शनकारियों ने बसों में आग लगा दी है.
Maratha Quota Clash: महाराष्ट्र के जालना जिले में मराठा आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के लाठीचार्ज करने के बाद हिंसा भड़क गई है. इसे लेकर राजनीतिक गर्मी भी बढ़ गई है.
डीएनए हिंदी: Maharashtra News- महाराष्ट्र में दलों के बीच टूटफूट की सरगर्मी के बीच अचानक मराठा आरक्षण को लेकर हिंसा भड़क उठी है. जालना जिले में पढ़ाई और सरकारी नौकरियों में मराठा कोटा लागू करने की मांग लेकर भूख हड़ताल पर बैठे लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया है. इसके बाद भड़की भीड़ ने पुलिसकर्मियों को दौड़ाकर पीटा है और कई जगह हिंसा की है. पूरे जिले में अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी गई है. करीब 300 लोगों के खिलाफ हिंसा और तोड़फोड़ का मुकदमा दर्ज किया गया है. राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) सुप्रीमो शरद पवार ने हिंसा के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को जिम्मेदार ठहराया है, जो राज्य के गृह मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. जवाब में शिंदे ने भी पलटवार किया है. जालना जिले में लगातार तनाव के हालात बने हुए हैं. उधर, राजनीतिक हलके में यह सवाल उठ रहा है कि यह घटना मुंबई में विपक्षी गठबंधन की बैठक के दिन होना क्या महज एक संजोग है? खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी विपक्षी साजिश की भनक मिली है. इसी कारण उन्होंने शनिवार को ही इस हिंसा की जांच के लिए कमेटी बनाने का ऐलान कर दिया है.
आइए 8 पॉइंट्स में जानते हैं कि अब तक क्या हुआ है.
1. अंतरावली-सरावती गांव में चल रही थी भूख हड़ताल
राज्य में पढ़ाई और सरकारी नौकरियों में मराठा आरक्षण लागू करने की मांग की जा रही है. इसे लेकर 29 अगस्त से जालना जिले के अंतरावली-सरावती गांव में 29 अगस्त से मराठा मारछा समन्वयक मनोज जारांगे पाटिल के नेतृत्व में भूख हड़ताल शुरू की गई थी. तीन दिन से भूख हड़ताल करने के कारण शुक्रवार को मनोज जारांगे की तबीयत खराब हो गई थी. इस पर पुलिस ने उन्हें डॉक्टर की सलाह पर हॉस्पिटल ले जाने की कोशिश की.
2. पुलिस के जबरदस्ती करने पर भड़के लोग
मनोज जारांगे ने अस्पताल जाने से इंकार कर दिया. इसके बाद पुलिस ने उन्हें जबरन अपने साथ ले जाने की कोशिश की. इसका विरोध भूख हड़ताल पर बैठे अन्य लोगों के साथ ही वहां पहुंची भीड़ करने लगी. इस पर पुलिस अधिकारियों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करने का आदेश दे दिया. पुलिस के लाठीचार्ज करने और आंसू गैस के गोले दागने पर भीड़ में भगदड़ मच गई. कुछ लोग पुलिसकर्मियों के साथ ही भिड़ गए. भीड़ की तरफ से भी पुलिस पर पथराव किए जाने की खबर है. इस दौरान 10 से 12 लोग घायल हो गए. घायलों में पुलिसकर्मी भी शामिल बताए जा रहे हैं.
3. उत्तेजित भीड़ ने जला दिए वाहन
पुलिस लाठीचार्ज से भड़की भीड़ धुले-शोलापुर हाइवे पर पहुंच गई. वहां भीड़ ने सरकारी ट्रांसपोर्ट बसों और निजी वाहनों पर पथराव करना शुरू कर दिया. पुलिस का आरोप है कि भीड़ ने कई वाहनों में आग लगा दी. ग्रामीणों ने पुलिस पर फायरिंग करने का भी आरोप लगाया है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है.
4. पुलिस ने दर्ज किए 300 लोगों के खिलाफ केस
जालना पुलिस ने हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान शुरू कर दी है. करीब 300 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं. इन सभी को हिंसा करने, पुलिस पर पथराव करने और वाहनों में तोड़फोड़ व आगजनी करने का आरोपी बनाया गया है.
5. विपक्षी नेताओं ने मुख्यमंत्री पर लगाए आरोप
विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पुलिस के लाठीचार्ज के लिए घेरा है. NCP सुप्रीमो शरद पवार ने पुलिस की कमान गृहमंत्री के तौर पर सीधे CM एकनाथ शिंदे के हाथ में होने के बावजूद लाठीचार्ज के लिए उनकी निंदा की है. शिव सेना (UBT) चीफ उद्धव ठाकरे ने भी लाठीचार्ज के लिए मुख्यमंत्री की आलोचना की है. शरद पवार हिंसाग्रस्त गांव का दौरा करने के लिए जालना रवाना हो गए हैं.
उधर, उद्धव ठाकरे ने कहा, मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल की गई थी, लेकिन आप लोगों के ऊपर कभी लाठियां नहीं चलाई गई. मराठा आरक्षण की मांग आज की नहीं है. मैं मुख्यमंत्री रहते हुए आप लोगों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा की थी. आप लोग उस वक्त मुख्यमंत्री निवास स्थान वर्षा पर भी आए थे. मराठी समाज के भाइयों और बहनों की गलती क्या है यह गोली तुम लोग किस पर चला रहे हो.
6. हिंसा की जांच के लिए बनेगी समिति
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने जालना घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा, राज्य सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए कुछ कदम उठा रही है. राज्य सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन किसी को भी हिंसा का सहारा नहीं लेना चाहिए. उन्होंने साथ ही कहा, मैंने आंदोलन के नेताओं से बात की, उनकी मांग को लेकर बैठक हुई है. उनकी मांग को लेकर प्रशासन की तरफ से कार्यवाही भी चल रही थी, लेकिन उसके बाद भी आंदोलन शुरू था. मैंने इस आंदोलन को वापस लेने की बात भी सामने रखी थी लेकिन अचानक आंदोलन की स्थिति खराब हो गई. इस घटना की जानकारी मिलने के बाद मैं जिलाधिकारी से संपर्क किया, और इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी ली.
7. विपक्ष से जुड़ते दिख रहे हैं घटना के तार
मराठा आरक्षण के कहीं न कहीं तार विपक्ष से जुड़ते नजर आ रहे हैं. एक तरफ सीएम शिंदे इस कोशिश में हैं कि हिंसा रोकी जाए तो दूसरी ओर ऐसा लग रहा है कि विपक्ष इस बात को मुद्दा बनाना चाह रहा है. यहां तक डिप्टी सीएम अजीत पवार ने भी इस मामले में सीएम से अलग ही स्टैंड लिया है. साथ ही साथ इसमें एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार का भी बड़ा रोल माना जा रहा है. माना जा रहा है कि चुनाव नजदीक हैं ऐसे में विपक्ष चाहता है कि किसी भी तरह मराठाओं का समर्थन हासिल किया जाए. जो कि अभी सीएम एकनाथ शिंदे के पास है. इसके अलावा आंदोलन में हिंसा भड़काने के पीछे कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के शामिल होने की भी बात कही जा रही है. राजनीतिक हलके के लोग पवार फैक्टर और कांग्रेस का नाम आने से इस हिंसा के तार इंडिया बैठक से भी जोड़कर देख रहे हैं, क्योंकि जिस दिन ये घटना हुई उसी दिन INDIA की हाई लेवल मीटिंग हुई जो कि एक बड़ा संजोग है.
8. क्या है मराठा आरक्षण को लेकर विवाद
महाराष्ट्र राज्य की सरकारी नौकरियों और स्कूल-कॉलेजों में एडमिशन के लिए मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग की जा रही है. यह राज्य की राजनीति में बड़ा मुद्दा है. मौजूदा उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य का मुख्यमंत्री रहने के दौरान Socially and Educationally Backward Classes Act 2018 के तहत मराठा समुदाय को कोटा दिया था, लेकिन साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इससे आरक्षण 50 फीसदी की तय सीमा से ज्यादा हो रहा है. साथ ही यह संविधान के 102वें संशोधन के भी खिलाफ है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.