UP Municipal Election 2023: मायावती ने अतीक अहमद से बनाई दूरी, गैंगस्टर के परिवार को मेयर चुनाव में टिकट नहीं देगी BSP

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Apr 10, 2023, 03:03 PM IST

UP Municipal Election 2023

Atique Ahmed के परिवार वालों को लेकर मायावती ने ऐलान किया है कि इस बार निकाय चुनाव में पार्टी गैंगस्टर के परिवार के किसी भी शख्स को टिकट नहीं देगी.

डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसके चलते सभी पार्टियों ने अपनी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं. नगर निगम चुनाव को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की. अटकलें थीं कि बीएसपी अतीक अहमद के किसी परिजन को प्रयागराज मेयर पद का प्रत्याशी बना सकती है लेकिन मायावती ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा है कि बीएसपी अतीक के परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट नहीं देगी. 

मायावती ने कहा कि बीएसपी गैंगस्टर अतीक अहमद के परिवार के किसी भी सदस्य को प्रयागराज से मेयर या निकाय चुनाव का टिकट नहीं देगी. इतना ही नहीं, चुनाव की प्रक्रिया को लेकर मायावती ने सवाल भी उठाए हैं. उन्होंने कहा कि वह चुनाव के ऐलान का तो स्वागत करती हैं लेकिन वह चाहती हैं कि चुनाव ईवीएम से नहीं बल्कि बैलेट पेपर से कराए जाएं. 

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प्रयागराज से अतीक के परिवार को टिकट नहीं

मायावती ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, "इन अटकलों पर अब विराम लग जाना चाहिए कि बसपा अतीक अहमद के परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट देने जा रही है. बसपा प्रयागराज से नए प्रत्याशी को मैदान में उतारेगी. जल्द ही इसका ऐलान किया जाएगा." गौरतलब है कि एक समय यह कयास थे कि बीएसपी अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन को प्रयागराज मेयर चुनाव प्रत्याशी बना सकती है. 

आरक्षण का उठाया मुद्दा

बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी सरकार पर आरक्षण को लेकर हमला बोला है. उन्होंने कहा, "हम इस चुनाव में सभी वर्गों को समिलित करेंगे, सभी को हिस्सा देंगे. चुनाव में एससी-एसटी और महिला के लिए जो आरक्षण दिया गया है, उससे बहुत से लोग सहमत नहीं हैं, क्योंकि नियमों का पालन नहीं किया गया है."

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आरक्षण के चलते लटका था चुनाव

गौरतलब है कि ओबीसी आरक्षण को लेकर ही यूपी का निकाय चुनाव पहले लटक गया था और यह कहा जाने लगा था. यह मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने बिना आरक्षण चुनाव कराने का फैसला दिया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के साथ ही चुनाव कराने का फैसला दिया था. यूपी सरकार ने ओबीसी आरक्षण के लिए बनी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही राज्य में आरक्षण प्रक्रिया लागू करने का दावा कर रखा है.

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