डीएनए हिंदी: दुनियाभर में चार करोड़ बच्चों पर खसरे (Measles) का खतरा मंडरा रहा है. भारत में इस बीमारी की वजह से बच्चे लगातार बीमार हो रहे हैं. कुछ बच्चों की खसरे की बीमारी की वजह से मौत भी हो चुकी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राज्य रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) की रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड की वजह से 2021 में दुनियाभर में लगभग 4 करोड़ बच्चों को खसरे का टीका नहीं लगा. जिसकी वजह से बच्चों में यह बीमारी बढ़ने लगी है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2.5 करोड़ बच्चे ऐसे जिन्होंने अपनी पहली खुराक ही नहीं, जबकि 1.47 करोड़ बच्चों ने अपनी दूसरी खुराक मिस कर दी. नतीजा ये हुआ कि साल 2021 में दुनियाभर में खसरे के अनुमानित 90 लाख मामले सामने आए और 1,28000 मासूमों की मौत हो गई. WHO के माने यह गंभीर बीमारी धीरे-धीरे पैर पसार रही है. सभी देशों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
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केंद्र सरकार ने राज्यों को जारी किए निर्देश
वहीं, मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों से संवेदनशील इलाकों में रह रहे 9 माह से 5 साल तक के सभी बच्चों को खसरा और रूबेला के टीकों की अतिरिक्त खुराक देने पर विचार करने को कहा है. गौरतलब है कि हाल ही में बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, केरल और महाराष्ट्र के कुछ जिलों से खसरे के कई मामले सामने आए हैं. महाराष्ट्र में बीएमसी और कुछ अन्य जिलों के तहत आने वाले इलाकों में संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है और खसरे के वायरस से करीब 10 बच्चों की मौत हुई है.
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महाराष्ट्र के प्रधान स्वास्थ्य सचिव को लिखे पत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि संक्रमण के मामलों में यह वृद्धि जन स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत चिंताजनक है. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव पी अशोक बाबू ने कहा कि यह भी स्पष्ट है कि ऐसे सभी भौगोलिक क्षेत्रों में प्रभावित बच्चों को मुख्यत: टीका नहीं लगा होता है और पात्र लाभार्थियों के बीच खसरा और रूबेला के टीके (एमआरसीवी) लगाए जाने का औसत भी राष्ट्रीय औसत से कम होता है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में नीति आयोग के एक सदस्य (स्वास्थ्य) की अध्यक्षता में विशेषज्ञों के साथ बुधवार को एक बैठक की गई.
9 माह से 5 साल के बच्चों को लगेंगे टीके
बैठक के बाद केंद्र केंद्र ने कहा कि राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को संवेदनशील इलाकों में 9 माह से 5 साल के सभी बच्चों को टीके की अतिरिक्त खुराक देने पर विचार करने की सलाह दी जाती है. सरकार ने कहा, ‘यह खुराक नौ से 12 महीने के बीच दी जाने वाली पहली खुराक और 16 से 24 माह के बीच दी जाने वाली दूसरी खुराक के अतिरिक्त होगी.’ राज्य सरकार और केंद्र-शासित प्रदेशों का प्रशासन संवेदनशील इलाकों की पहचान करेगा. एक अधिकारी ने बताया कि उन इलाकों में छह माह से नौ माह तक की आयु के सभी बच्चों को एमआरसीवी टीके की एक खुराक दी जानी चाहिए, जहां नौ महीने से कम आयु के शिशुओं में खसरे के मामले कुल मामलों के 10 प्रतिशत से अधिक हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने कहा कि यह बीमारी उन बच्चों में जानलेवा होती है, जो मध्यम और गंभीर रूप से कुपोषित हैं. (PTI इनपुट के साथ)
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