ये हैं नए जमाने के Digital Beggar, इनके सामने नहीं चलता 'छुट्टे नहीं हैं' का बहाना

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 09, 2022, 11:23 AM IST

राजू का कहना है कि जब से वो डिजिटल भिखारी बना है, उसकी कमाई बढ़ गई है.

डीएनए हिंदी: किसी बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से गुजरते हुए आपने कई बार ऐसे भिखारियों को देखा होगा जो मदद के लिए आपके पीछे-पीछे दौड़ पड़ते हैं. आप भी इनसे बचने के लिए कई बार 'छुट्टे नहीं हैं' कहकर आगे निकल जाते हैं लेकिन अगर आप बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन पर हैं तो यहां आपका यह बहाना जरा भी काम नहीं आने वाला है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्टेशन पर एक भिखारी डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) भी स्वीकार करता है. 

बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन पर गले में ई-वॉलेट का QR CODE टांगे रखने वाले भिखारी का नाम राजू प्रसाद है. राजू बचपन से ही स्टेशन पर रह रहा है और लोगों से भीख मांग कर अपना भरण-पोषण करता है. इतना ही नहीं, यहां के लोग राजू को डिजिटल भिखारी (Digital Beggar) के नाम से भी जानते हैं. 

इस बारे में बात करते हुए राजू ने बताया, लोग कहते थे छुट्‌टे नहीं हैं इसलिए मैंने बैंक में खाता खुलवा लिया है. यानी अब राजू लोगों से छुट्टे पैसे नहीं लेता बल्कि फोन-पे पर QR CODE स्कैन कर भीख के पैसे भेजने को कहता है. राजू का कहना है कि जब से वो डिजिटल भिखारी बना है, उसकी कमाई बढ़ गई है.

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बता दें कि राजू खुद को पीएम मोदी (Narendra Modi) और लालू यादव (Lalu Yadav) का फैन बताता है. रेलवे स्टेशन पर मौजूद लोगों का कहना है कि मंदबुद्धि होने के कारण राजू के पास कोई नौकरी नहीं थी इसलिए उसने भीख मांगने को ही अपनी नौकरी बना लिया है.

वहीं QR CODE से भीख मांगने के अंदाज के कारण देशभर में राजू की चर्चा हो रही है. राजू ने कहा, 'कई बार लोग यह कहकर मदद से इनकार कर देते हैं कि उनके पास छुट्टे पैसे नहीं हैं. कई यात्रियों ने कहा कि फोन-पे आदि ई-वॉलेट के जमाने में अब कैश लेकर कौन चलता है. बस इसलिए मैंने बैंक खाता खुलवाया, साथ ही ई-वॉलेट भी बना लिया. अब मैं गूगल-पे व फोन-पे आदि के QR CODE के जरिए भीख मांगता हूं'. 

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