डीएनए हिंदी: ओयो रूम्स के फाउंडर रितेश अग्रवाल के पिता की शुक्रवार को अचानक गुरुग्राम में बिल्डिंग से गिरने के कारण मौत हो गई है. यह हादसा रितेश अग्रवाल की गीतांशा सूद के साथ शादी के महज दो दिन बाद हुआ है. रितेश अग्रवाल और गीतांशा ने दो दिन पहले नई दिल्ली के 5 स्टार होटल में सात फेरे लिए थे. उनकी शादी में देश के टॉप स्टार्टअप्स के फाउंडर्स शामिल हुए थे, जिनमें पेटीएम के विजय शेखर शर्मा, लैंसकार्ट के पीयूष बंसल और सॉफ्टबैंक के मासायोशी सन आदि थे. यह हाईप्रोफाइल शादी इंटरनेट पर बेहद वायरल हुई थी, क्योंकि गीतांशा सूद के बारे में कोई भी ज्यादा नहीं जानता है.
यह है गीतांशा सूद का फैमिली बैकग्राउंड
गीतांशा अब देश की सबसे बड़ी हॉस्पिटेलिटी चेन ओयो रूम्स के मालिक रितेश अग्रवाल की पत्नी हैं. वे मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हैं. वह फॉर्मेशन वेंचर्स लिमिटेड नाम की एक कंपनी चलाती हैं, जिसे उन्होंने कानपुर में शुरू किया था. सूद की कंपनी 22 अगस्त, 2020 को कानपुर में कंपनी रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड कराई गई थी. उन्होंने एक लाख रुपये के इन्वेस्टमेंट के साथ कंपनी की शुरुआत की थी. इस कंपनी में सूद के अलावा दो अन्य डायरेक्टर भी हैं, जिनमें से एक का नाम कुहुक सूद है. इससे ज्यादा उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है. ना ही रितेश अग्रवाल ने अपनी पत्नी के बारे में इसके अलावा कोई जानकारी मीडिया के साथ शेयर की है.
रितेश अग्रवाल: इंजीनियरिंग ड्रॉप आउट से 80 देशों में फैली कंपनी तक
देश के टॉप यूनिकॉर्न ओयो रूम्स के मालिक रितेश अग्रवाल की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. ओयो रूम्स आज की तारीख में 80 देशों में उपस्थिति रहने वाली ऐसी कंपनी है, जो 800 से ज्यादा शहरों में अपनी हॉस्पिटेलिटी सर्विस उपलब्ध करा रही है. आप शायद जानकर हैरान होंगे कि इतना बड़ा एंपायर खड़ा करने वाले रितेश महज 11 साल पहले इंजीनियर कॉलेज से ड्रॉपआउट हो गए थे यानी उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी. ओडिशा में जन्मे रितेश ने वहां के रायगढ़ जिले से स्कूल की पढ़ाई की है, जबकि राजस्थान के कोटा में रहकर उन्होंने IIT JEE की तैयारी की थी.
कॉलेज छोड़कर रितेश ने शुरू की थी कंपनी
रितेश ने साल 2011 में ही इंजीनियरिंग कॉलेज छोड़ने के बाद ओरावेल स्टे के नाम से एक कंपनी शुरू की थी, जो कम बजट वाली होटल बुक करने में मदद करती थी. साल 2012 में उनकी कंपनी को एक एक्सेलरेटर प्रोग्राम के तहत 30 लाख रुपये की ग्रांट मिली थी. इसी साल उनकी कंपनी को प्रतिष्ठित थिएल फेलोशिप से 10 लाख डॉलर का बड़ा अनुदान मिला, जिससे उन्होंने ओयो कंपनी की शुरुआत की. इसके बाद वह तेजी से आगे बढ़ते चले गए हैं.
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