डीएनए हिंदी: केंद्र सरकार (Modi Government) ने गुरुवार को सिगरेट पीने वाले लोगों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. नए फैसले के मुताबिक अब 20 रुपये से कम कीमत वाले सिगरेट लाइटर्स (Cigarette Lighters Banned) का आयात नहीं होगा. इस पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है. यह कदम प्रोडक्ट के आयात पर लगाम लगाने के इरादे से उठाया गया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना में इस फैसले को लेकर अहम जानकारी दी है.
DGFT द्वारा जारी अधिसूचना में बताया गया है कि सिगरेट लाइटर की आयात नीति को 'मुक्त' से संशोधित कर 'प्रतिबंधित' श्रेणी में कर दिया गया है. हालांकि, यदि लागत, बीमा और माल भाड़ा (CIF) मूल्य 20 रुपये प्रति लाइटर या उससे अधिक है तो आयात जारी रहेगा.
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किन सिगरेट लाइटर्स पर लागू रहेगी पाबंदी
बता दें कि CIF मूल्य का उपयोग अंतरराष्ट्रीय व्यापार आयातित वस्तुओं के कुल मूल्य के निर्धारण के लिये किया जाता है. सरकार के फैसले के मुताबिक यह पाबंदी पॉकेट लाइटर, गैस वाले लाइटर, 'रिफिल' या बिना 'रिफिल' वाले लाइटर पर लगाई गई है. जानकारी के मुताबिक पॉकेट, गैस लाइटर, 'रिफिल' या बिना 'रिफिल' वाले लाइटर का आयात बीते वित्त वर्ष 2022-23 में 6.6 लाख डॉलर का रहा.
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल में यह 1.3 लाख डॉलर का था. इनका आयात मुख्य रूप से स्पेन, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात से किया जाता है. आर्थिक तौर पर यह एक बड़ा फैसला माना जा रहा है लेकिन इस फैसले की वजह कुटीर उद्योग को माना जा रहा है.
एमके स्टालिन ने जताई खुशी
गुरुवार को जब मोदी सरकार ने इस सिगरेट आयात पर बैन के फैसला का ऐलान किया तो तुरंत ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने सरकार के फैसले पर खुशी जताई. उन्होंने अपने ट्वीटर में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को धन्यवाद भी दिया. उन्होंने कहा कि यह निर्णय तमिलनाडु के माचिस उद्योग में एक लाख से अधिक लोगों की आजीविका की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
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कुटीर उद्योग को बचाने की पहले भी कर चुके हैं मांग
बता दें कि साल 2022 के सितंबर महीने में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र की मोदी सरकार को एक पत्र लिखकर माचिस उद्योग को बचाने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक वाले सिगरेट लाइटर पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. बता दें कि माचिस उद्योग को दक्षिण भारत के लिए रोजगार का बड़ा साधन माना जाता है. यह पारंपरिक उद्योग एक लाख से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है जिनमें से अधिकांश महिलाएं हैं.
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