चीन चल रहा है चालें पर इंडो-पैसिफिक में भारत का ही रहेगा दबदबा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 22, 2021, 01:42 PM IST

थल और वायुसेना के बाद अब भारत सरकार इंडो-पैसिफिक में चीन को नौसेना के जरिए भी घेरने की प्लानिंग कर चुकी है.

डीएनए हिंदीः लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक पड़ोसी देश चीन भारत के लिए चुनौतियां खड़ी करने के प्रयास कर रहा है किंतु उसकी प्रत्येक चाल को नाकाम करने में देश की थल एवं वायुसेना युद्धस्तर पर सक्रिय रहती है. ऐसे में चीन समुद्री मार्ग से भारत को  परेशान करने के प्रयास भी कर सकता है. श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट से लेकर पाकिस्तान के ग्वादर तक चीन अपनी स्थिति को भारत के खिलाफ मजबूत करने के प्रयास करता रहा है. ऐसे में इंडो पैसिफिक में चीन की बढ़ती सक्रियता पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार अब नौसेना को अग्रिम मोर्चे पर सक्रिय कर रही है जिसके लिए 22 हजार करोड़ रुपए के खर्च की तैयारी भी कर ली गई है. 

अत्याधुनिक बनाने की तैयारी 

इंडो-पैसिफिक में चीन का सक्रिय होना भारत के लिए खतरे की स्थिति हो सकती हैं. ऐसे में भविष्य के रोडमैप को ध्यान में रखते हुए  भारत सरकार नौसेना की तकनीक और क्षमता दोनों में विस्तार करने वाली है. नौसेना के लिए मानवरहित यान की तकनीक को अपनाने से लेकर पानी के नीचे चलने वाले प्लेटफॉर्म भी विकसित किए जाने की योजना है. पिछले महीने नौसेना की शीर्ष स्तर के अधिकारी इन प्लेटफॉर्म्स को अपनी स्वीकृति दे चुके हैं. इस मामले में सूत्रों का कहना है कि, "रोडमैप मानवरहित प्लेटफॉर्म की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है और संसाधनों का उपयोग उच्चतम सुनिश्चित करते हुए मांग को पूरा करने के लिए एक दिशा प्रदान करता है."

बढ़ेगी समुद्री क्षेत्र में निगरानी 

भारतीय नौसेना देश के ही मानवरहित प्लेटफॉर्म पर काम करेगी, लेकिन नौसेना के लिए वैश्विक बाजार की आधुनिक तकनीक एवं ड्रोन की सुविधाएं भी हों, जिसके चलते भारतीय समुद्री क्षेत्र में निगरानी में भी विस्तार होगा. अधिकारियों ने बताया, "हिंद महासागर क्षेत्र में घटनाक्रम को देखते हुए मुख्य जोर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जलमार्गों में निगरानी बढ़ाने पर होगा." वहीं युद्धपोतों से साथ ही नौसेना के लिए पनडुब्बियों के बेड़े को भी बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं. ये दर्शाता है कि भारत सरकार इंडो-पैसिफिक में नौसेना को मजबूत कर चीन की चुनौतियां का जवाब देने की तैयारी कर रही है. 

रक्षा सचिव कर चुके हैं हमला

चीन के खिलाफ भारतीय रक्षा सचिव अजय कुमार पहले ही कह चुके हैं कि उसकी विस्तारवादी नीति के चलते विश्व स्तर पर आर्म्स रेस बढ़ रही है. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि भारत सरकार कूटनीतिक स्तर पर और सैन्य क्षमता दोनों ही लिहाज से चीन का मुकाबला करने के लिए तैयार है. इतना ही नहीं, उन्होंने ये भी ऐलान किया था कि भारत अपनी तो सुरक्षा तो करेगा ही, साथ ही वो भारत के सहयोगियों का मुकाबला करने के लिए भी तत्पर है.

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