Weather Forecast: देश के कई हिस्सों में चमड़ी झुलसाने वाली गर्मी के कहर के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है. देश में बारिश के लिए जिम्मेदार दक्षिण-पश्चिम मानसून अपने तय समय पर या उससे भी एक दिन पहले केरल पहुंच सकता है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बुधवार को जारी पूर्वानुमान में मानसून के केरल में 31 मई तक पहुंचने की संभावना जताई है. हालांकि इसमें 1 दिन की जल्दी या 4 दिन की देरी होने की संभावना भी जताई गई है. बता दें कि केरल में सामान्यतौर पर 1 जून को मानसून पहुंचता है. ऐसे में इस बार यह तय वक्त पर ही आने जा रहा है. हालांकि IMD महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बुधवार को कहा, 'यह मानसून का जल्द आगमन नहीं है बल्कि यह सामान्य तारीख के करीब है, क्योंकि केरल में मानसून की शुरुआत की सामान्य तारीख एक जून है.' इसके बावजूद IMD के इस पूर्वानुमान से यह उम्मीद जगी है कि तपती गर्मी से जल्द राहत मिल सकती है.
7 दिन तक की देरी को माना जाता है सामान्य
दक्षिण-पश्चिम मानसून की भारत में एंट्री केरल के रास्ते होती है. केरल में सामान्य तौर पर 1 जून को मानसूनी बारिश की दस्तक होती है, लेकिन इसमें 7 दिन तक की देरी को भी सामान्य माना जाता है. आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 150 साल में केरल में मानसून के आगमन की तारीख बदलती रही है. केरल में साल 1918 में 11 मई को ही मानसून आ गया था, जबकि आज तक मानसून के आगमन में सबसे ज्यादा देरी साल 1972 में हुई थी. 1972 में 18 जून को बारिश की शुरुआत हुई थी.
पिछले चार साल में अलग-अलग तारीख को आया मानसून
पिछले चार साल में भी मानसून के आगमन की तारीख अलग-अलग रही है. IMD के आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में केरल में 8 जून को बारिश की शुरुआत हुई थी, जबकि 2022 में 29 मई को, 2021 में तीन जून को और 2020 में एक जून को मानसून की एंट्री हुई थी.
पिछले 19 साल में गलत नहीं रहा कभी अनुमान
बुधवार को IMD ने अनुमान जताया है कि मानसून 31 मई को केरल पहुंच जाएगा और 15 जुलाई तक पूरे भारत में मानसूनी बारिश की शुरुआत हो जाएगी. IMD का दावा है कि पिछले 19 साल में महज एक बार 2015 में ही ऐसा हुआ है, जब केरल में मानसून पहुंचने की तारीख को लेकर उसकी भविष्यवाणी गलत साबित हुई है.
6 फैक्टर्स पर आधारित होती है भविष्यवाणी
केरल में मानसून के आगमन की तारीख तय करने के लिए IMD वैज्ञानिक स्टेट-ऑफ-द-आर्ट स्टेटिकल मॉडल का प्रयोग करते हैं, जो छह key predictors पर आधारित है. इन key predictors में उत्तर पश्चिमी भारत के ऊपर न्यूनतम तापमान, दक्षिणी पेनिनसुला के ऊपर प्री-मानसून बारिश के पैटर्न समेत दक्षिणपूर्वी हिंद महासागर और दक्षिणपश्चिमी प्रशांत महासागर के ऊपर वातावरण से जुड़े कई पैरामीटर शामिल हैं.
सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान
IMD ने पिछले महीने इस साल होने वाली बारिश की मात्रा का अनुमान भी जारी किया था. प्रशांत महासागर में 'अल नीनो' फैक्टर के बावजूद IMD ने जून से सितंबर तक दक्षिण-पश्चिमी मानसून के दौरान इस बार सामान्य से ज्यादा बारिश होने का अनुमान जताया है, जिसे कृषि आधारित भारतीय इकोनॉमी के लिए बेहद अच्छा माना जा रहा है. दरअसल जून-जुलाई में मानसूनी बारिश की मात्रा पर ही भारत के अधिकांश हिस्से में खरीफ फसल की बुआई निर्भर करती है. इसलिए मानसून के दौरान कितनी बारिश होगी, ये भारत के लिए बेहद अहम होता है.
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