Monsoon Session: हंगामा, निलंबन, धरना... राज्यसभा में एक भी बिल पास नहीं, सरकार के सामने अब ये संकट

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 01, 2022, 12:25 PM IST

Parliament Monsoon Session 2022: राज्यसभा में पिछले सप्ताह राज्यसभा में 26.90 प्रतिशत कामकाज हुआ था, जो इस सप्ताह गिरकर 16.49% पहुंच गया. हंगामे के कारण अब तक राज्यसभा में एक भी विधेयक पारित नहीं हो सका है.

डीएनए हिंदी: संसद के मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) में पहले सप्ताह के मुकाबले दूसरे सप्ताह राज्यसभा में 16.49% की गिरावट आई है. पिछले सप्ताह राज्यसभा में 26.90 प्रतिशत कामकाज हुआ था. इसके लिए विपक्ष के हंगामे को जिम्मेदार बताया जा रहा है. मंहगाई, रोजगार और अग्निपथ योजना जैसे मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे की वजह से उच्च सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई. इस दौरान राज्यसभा के 23 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है.

राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कामकाज में आई गिरावट से नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि यह व्यवधान संसदीय लोकतंत्र का विनाश है. पहले दो सप्ताह के दौरान राज्यसभा के कामकाज में 21.58 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. राज्यसभा सचिवालय ने बताया कि अब तक हुई 10 बैठकों में राज्यसभा में 11 घंटे और 8 मिनट काम हुआ, जबकि 51 घंटे और 35 मिनट का कामकाज निर्धारित था. इसक मतलब है कि 40 घंटे और 45 मिनट हंगामा और व्यवधान में बर्बाद हो गए. अभी तक इस सत्र में एक भी विधेयक पारित नहीं कराया जा सका है.

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राज्यसभा में 6 दिन नहीं हुआ प्रश्नकाल
सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलाप का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक पर चर्चा पूरी होना बाकी है. इस सत्र के पहले दो सप्ताहों में अभी तक शून्य काल के तहत कोई मामला नहीं उठाया जा सका. राज्यसभा में पिछले 8 दिन में एक भी विशेष उल्लेख नहीं उठाया जा सका और छह दिन प्रश्न काल नहीं हो सका. सदन में बार-बार हो रहे हंगामे के मद्देनजर अपनी चिंता प्रकट करते हुए वेंकैया नायडू ने हाल ही में कहा था कि विरोध की राजनीति का संसद और राज्य की विधानसभाओं के कामकाज पर असर नहीं पड़ने देना चाहिए.

'सरकार और विपक्ष की सदन को चलाने की जिम्मेदारी'
हैदराबाद के नए सांसदों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन करने के बाद नायडू ने कहा कि मतभेदों को दूसरों की राय सुनने की क्षमता पैदा करके बहस और चर्चा के जरिए सुलझाया जाना चाहिए लेकिन जरूरी नहीं कि उनसे सहमत ही हुआ जाए. उन्होंने कहा, ‘सरकार और विपक्ष दोनों पर सदन के सुचारू और प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने की सामूहिक जिम्मेदारी है.’

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विपक्ष कर रहा चर्चा की मांग
गौरतलब है कि 18 जुलाई से मानसून सत्र शुरू होने के बाद से मंहगाई, बेरोजगारी, जीएसटी और अग्निपथ जैसे मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई है. विपक्षी दलों के प्रदर्शन के कारण राज्यसभा और लोकसभा से कई सदस्यों को निलंबित भी किया गया है.

(भाषा इनपुट के साथ)

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