डीएनए हिंदी: Rain Forecast- पहले से ही कमजोर रहने के अनुमान के बीच आखिरकार गुरुवार को मानसून ने भारतीय धरती पर कदम रख दिया. यह केरल में मानसून की पिछले 4 साल के दौरान सबसे ज्यादा देरी से हुई आमद है. केरल में मानसूनी बारिश शुरू हो गई है. इस बार मानसून करीब 8 दिन की देरी से केरल पहुंचा है. हालांकि भारतीय मौसम विभाग (IMD) का मानना है कि इस सप्ताह मानसून थोड़ा कमजोर रहेगा, लेकिन अगले सप्ताह तक मानसूनी हवाएं पूरी रफ्तार पकड़ लेंगी. इसके बाद यह तेजी से देश में आगे बढ़ेगा. उत्तर भारत यानी दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि राज्यों में मानसून का असर अगले 7 दिन में दिखाई दे जाने की संभावना है.
चक्रवात ने कर दिया 4 दिन लेट
मानसून अमूमन 1 जून को केरल के जरिये भारत में एंट्री करता है. इस बार मौसम विभाग ने पहले ही इसके 4 जून को आने का अनुमान जताया था, लेकिन इसी बीच अरब सागर में बने बिपरजॉय चक्रवात ने मानसूनी हवाओं का रास्ता रोक लिया. इस चक्रवात के कारण मानसूनी हवाएं तकरीबन 8 दिन बाद केरल पहुंची हैं. गुरुवार को 95 फीसदी केरल में बारिश शुरू हो गई है. IMD महानिदेशक मृत्युंजय मोहपात्रा के मुताबिक, चक्रवात अब पाकिस्तान की ओर बढ़ गया है, जिससे मानसूनी हवाएं धीरे-धीरे अपनी रफ्तार पकड़ने लगी हैं. उन्होंने अगले 48 घंटे के दौरान दक्षिण भारत के सभी राज्यों में मानसूनी बारिश शुरू हो जाने की संभावना जताई है.
किसान करें बुआई के लिए थोड़ा इंतजार
वैज्ञानिकों ने खेतों में बुआई के लिए मानसूनी बारिश का इंतजार कर रहे किसानों को थोड़ा और सब्र रखने की सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि तय समय से 7 से 10 दिन का इंतजार करने के बाद ही फसल की बुआई करें ताकि उसे मानसूनी बारिश का पर्याप्त पानी मिल सके.
जून महीने में सामान्य से कम बारिश के आसार
मौसम विभाग ने यह अंदेशा जताया है कि देरी से आने के कारण जून के महीने में मानसूनी बारिश का औसत सामान्य से कम रह सकता है. मौसम विभाग ने पहले ही इस बार प्रशांत महासागर में अलनीनो प्रभाव बनने के कारण सामान्य मानसून यानी करीब 96 फीसदी बारिश का अनुमान जताया था. हालांकि मौसम विभाग ने यह भी कहा है कि एक बार मानसूनी हवाएं अपनी पूरी रफ्तार पकड़ लेंगी तो देश में भरपूर बारिश होगी, जिससे फसलों को पर्याप्त सिंचाई मिल पाएगी.
बेहद अहम हैं मानसून के ये 4 महीने
भारत में मानसून सीजन जून से सितंबर तक माना जाता है. भारत की करीब 51 फीसदी कृषि भूमि मानसूनी बारिश पर ही निर्भर है, जिससे भारतीय उद्योगों के लिए बेहद अहम रॉ मटीरियल मिलता है. भारत का करीब 40 फीसदी खाद्यान्न भी इस 51 फीसदी कृषि भूमि पर ही उत्पादित होता है. इन्हीं कारणों से 4 महीने का मानसूनी सीजन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम माना जाता है, जिसे हम कृषि आधारित अर्थव्यवस्था कहते हैं.
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