डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद दुनिया में पहले पीतल के लिए प्रसिद्ध था लेकिन यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोग्राम (UNEP) की ओर से जारी सालाना फ्रंटियर रिपोर्ट के सामने आने के बाद यह शहर सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण वाला शहर होने के चलते चर्चा का विषय बन गया है. हालांकि इस लिस्ट में राजधानी ृ दिल्ली भी शामिल हैं लेकिन सबसे अधिक चर्चा मुरादाबाद की ही हैं. वहीं इस रिपोर्ट को लेकर अब मुरादाबाद के ही अधिकारियों ने सवाल खड़े किए है.
यूएन की रिपोर्ट्स को लेकर मुरादाबाद के लोगों ने ही कुछ बड़े सवाल खड़े किए हैं. शहर में इको सिस्टम पर काम कर रहे अधिकारी प्रोफेसर प्रशांत ने कहा, "इतना ध्वनि प्रदूषण शहर में नहीं हो सकता. कम्युलेटिव इफेक्ट के कारण शायद कुछ सेकेंड के लिए ऐसा हुआ हो. इस डाटा को लेकर कुछ कंफ्यूजन की स्थिति है." इसके अलावा राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ट ने भी इस आंकड़े को नकारा है.
वहीं इस रिपोर्ट में जारी मुरादाबाद के 114 डेसीबल के आंकड़ें को यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB)के मुरादाबाद जोन के क्षेत्रीय अधिकारी विकास मिश्रा ने खारिज करते हुए गलत और संदिग्ध करार दिया है. उन्होंने कहा, "शहर में ऐसी किसी गतिविधि के बारे में विभाग को कोई जानकारी नहीं दी गई. हमें यह भी नहीं पता कि ध्वनि प्रदूषण की निगरानी के लिए शहर में कोई कैंप लगा था. ये आंकड़ा गलत है क्योंकि ध्वनि प्रदूषण का स्तर यहां तक नहीं पहुंचा है."
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आपको बता दें कि यूएन की ध्वनि प्रदूषण से संबंधित इस रिपोर्ट में बांग्लादेश की राजधानी ढाका 119 डेसिबल के साथ पहले नंबर पर है. वहीं उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर का स्तर114 डेसिबल बताया गया है और इसे दुनिया का दूसरा सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण वाला शहर बताया गया है. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद 105 डेसिबल के साथ तीसरे नंबर पर है. रिपोर्ट में मुरादाबाद के अलावा भारत के सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण वाले शहरों में जयपुर, कोलकाता, आसनसोल और दिल्ली भी शामिल हैं.
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