Akbar महान था या नहीं? Rajasthan में क्यों शुरू हुआ मुगल बादशाह पर विवाद, पढ़ें पूरी बात

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Sep 03, 2024, 08:26 AM IST

Rajasthan News: राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने मुगल बादशाह अकबर को इतिहास की किताबों में महान राजा बताकर पढ़ाए जाने पर ऐतराज जताया है. इससे एक विवाद शुरू हो गया है.

Rajasthan News: मेवाड़ के वीर राजपूत राजा महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर की सेनाओं के बीच हल्दी घाटी का युद्ध इतिहास के पन्नों में सुर्खियों में दर्ज है. इस युद्ध में महाराणा जीते थे या अकबर, इसे लेकर इतिहासकारों में हमेशा से मतभेद रहा है. इसी कारण अकबर को महान बताए जाने पर राजस्थान के लोग हमेशा ही ऐतराज जताते रहे हैं. अब यह विवाद फिर एक बार चर्चा में आ गया है. दरअसल राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने मुगल बादशाह अकबर को लुटेरा बताते हुए उसे महान बताने वाले किताबों को जला देने की बात कही है. इससे दरबारी इतिहासकारों के लेखन पर फिर सवाल उठ गए हैं. माना जाता है कि कोई भी शासक अपने दरबारियों से इतिहास लिखवाता है तो अपनी महानता और विरोधियों के दुर्गुणों को बढ़ाचढ़ाकर पेश करता है. क्या अकबर के बारे में भी ऐसा ही है? कुछ इतिहासकारों ने समय-समय पर अकबर की महानता के किस्से लिखे हैं तो युद्धों के दौरान उसने जो किया है, वो भी लिखा गया है. अब मदन दिलावर जिस तरह के दावे कर रहे हैं, क्या सच में ऐसा है? क्या सच में अकबर ने देश लूटा था? चलिए इतिहास के नजरिये से जानने की कोशिश करते हैं.

पहले जान लेते हैं शिक्षा मंत्री ने क्या कहा है

राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का कहना है कि अकबर महान नहीं था, वो लुटेरा था. उन्होंने कहा,'अगर किसी किताब में अकबर को महान कहा गया, तो उसे जला दिया जाएगा. अकबर को महान बताना, महाराणा प्रताप और भामाशाह जैसे वीरों का अपमान करना है.'

इतिहासकारों की नजर में कैसा था अकबर

  • भारत पर अकबर ने वर्ष 1556 से 1605 तक करीब 49 साल शासन किया था.
  • किताब- 'द ग्रेट मुगल' के मुताबिक, अकबर ने वर्ष 1568 में महाराणा प्रताप के चित्तौड़गढ़ किले पर कब्जा किया था.
  • किताब में यह भी कहा गया है कि जीत के बाद उसके इशारे पर 40 हजार लोगों का कत्लेआम किया गया था.
  • अकबर की सेना की नृशंसता का शिकार होने वाले इन 40 हजार लोगों में हजारों औरतें और बच्चे भी शामिल थे.
  • हल्दी घाटी युद्ध को लेकर इतिहासकार ये दावा करते थे कि इसमें अकबर जीता था और महाराणा प्रताप हार गए थे.
  • आधुनिक इतिहासकार इस दावे को झुठलाते हैं. उनका कहना है कि युद्ध बेनतीजा रहा और उसके बाद भी मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप ही थे. 
  • अकबर ने साम्राज्य विस्तार के लिए कई राज्यों पर हमले किए. जिसने गुलामी स्वीकार की, उससे टैक्स लिए गए. जिसने हार नहीं मानी, उससे युद्ध चलते रहे.
  • इतिहास में अकबर का एक चेहरा ये भी है कि उसने अपने संरक्षक बैरम खान को मक्का भेजकर, उनकी पत्नी से जबरन शादी कर ली थी.
  • इतिहासकारों ने अकबर को धर्म के प्रति बहुत ज्यादा कट्टर नहीं माना और उसे भारतीय कला-संस्कृति का संरक्षक बताया है.
  • अकबर ने मुस्लिम होते हुए भी दीन-ए-इलाही नाम के धर्म की कल्पना की, जिसका मतलब था सबका ईश्वर एक है.
  • अकबर के विषय में इतिहासकार कहते हैं कि उसने अन्य धर्मों की यात्राओं पर लगने वाला जजिया कर भी खत्म कर दिया था.

क्या दिखाता है अकबर के बारे में ये इतिहास

ये कुछ ऐसी बातें हैं, जो अकबर के दोनों पहलुओं को दिखाती हैं. इसमें एक शासक के तौर पर उसकी निर्दयता भी दिखती है और सभी धर्मों का सम्मान करने वाले सोच भी नजर आती है. अकबर को लेकर इतिहासकार दोनों तरह की बातें कहते हैं और कुछ इतिहासकार उसे महान होने की संज्ञा देते हैं. लेकिन इसका अर्थ ये भी नहीं है कि महाराणा प्रताप महान नहीं थे.

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