डीएनए हिंदी: भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में सीमा विवाद (Border Dispute) लंबे समय से ज़ारी है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अलग-अलग राज्यों में खुद की सरकार बनने या गठबंधन में बीजेपी के शामिल होने की वजह से सीमा विवाद पर काफी तेजी से काम हो रहा है. इसी क्रम में अब असम और अरुणाचल प्रदेश ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 'नमसाई घोषणापत्र' (Namsai Declaration) पर दस्तखत किए हैं. इस समझौते के बाद दोनों राज्यों के बीच विवादित गांवों की संख्या घट गई है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने कहा कि अब विवादित गांवों की संख्या 123 से घटाकर 86 तक सीमित करने का फैसला लिया गया है.
अरुणाचल प्रदेश और असम की सरकारों ने शुक्रवार को दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच मौजूदा सीमा संबंधी विवादों को सुलझाने के लिए इस अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए. 'नमसाई घोषणा' पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री स्तर की बैठक हुई जिसमें अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और उनके असम के समकक्ष हिमंत बिस्वा सरमा ने हिस्सा लिया. इस समझौते के तहत राज्य सरकारें विवादित गांवों की संख्या कम करने पर सहमत हुई हैं.
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कम हो गई विवादित गांवों की संख्या
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, 'हमने विवादित गांवों को पहले 123 के बजाय 86 तक सीमित करने का फैसला किया है. यह ऐतिहासिक है. दोनों राज्य सरकारों का लक्ष्य बहुत कम समय में पूरे सीमा विवाद को हल करना है.' अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू ने ट्विटर पर लिखा, 'नमसाई घोषणा बेहद महत्वपूर्ण है और पूर्वोत्तर में स्थायी भाईचारे, शांति और समृद्धि की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रगति है.'
क्या है नमसाई घोषणा?
पूर्वोत्तर की भौगोलिक स्थिति की वजह से कई राज्यों के बीच सीमांकन में समस्या होती है. यही वजह है कि राज्यों के बीच उनकी सीमाओं को लेकर विवाद होते रहते हैं. कई बार तो ये विवाद हिंसक रूप भी ले लेते हैं. ऐसे ही विवादों को हल करने के लिए असम और अरुणाचल प्रदेश ने एक समझौता किया है. इसी समझौते को नमसाई घोषणा का नाम दिया गया है. इस समझौते के तहत, अरुणाचल प्रदेश की संवैधानिक सीमा के भीतर जो 28 गांव हैं, वे उसी के पास रहेंगे. तीन गांव जहां से अरुणाचल प्रदेश सरकार ने अपना दावा वापस ले लिया है, वे असम के पास रहेंगे.
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इसके अलावा, अन्य छह गांव पर फैसला नहीं हो सका. कहा गया है कि अगर अरुणाचल की ओर के गांव मौजूद हैं तो ये गांव उसी के पास रहेंगे. लगभग 12 क्षेत्रीय समितियां जो पहले बनी थीं, ग्रामीणों के साथ व्यापक बातचीत कर जमीनी स्थिति का आकलन कर रही हैं. ये समितियां 15 सितंबर तक रिपोर्ट की पहली किश्त जमा कर सकती हैं. आपको बता दें कि अगर ये समितियां अपने विचार-विमर्श को समाप्त करती हैं और दो राज्य सरकारों के बीच एक समझौता होता है तो मसौदा समझौता ज्ञापन केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.
शुक्रवार को हुई बैठक में दोनों राज्यों के कुछ कैबिनेट मंत्री भी मौजूद थे. विशेष रूप से, असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सीमा विवाद बहुत पहले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था और इस साल अप्रैल में गुवाहाटी में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में, दोनों मुख्यमंत्रियों ने लंबित सीमा मुद्दों के लिए अदालत के बाहर समझौता करने पर सहमति व्यक्त की थी.
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