डीएनए हिंदी: Maharashtra News- महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के सरकारी अस्पताल में 72 घंटे के अंदर 16 बच्चों समेत 31 लोगों की मौत पर मचा हंगामा अब बॉम्बे हाई कोर्ट तक पहुंच गया है. हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए गुरुवार से सुनवाई करने का फैसला लिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि वह अस्पताल में इतनी मौत की खबर पर स्तब्ध है और यह पूरी तरह अस्वीकार्य है. हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार को चेतावनी दी है कि यदि इन मौत का कारण अस्पताल में स्टाफ या दवाइयों की कमी होना पाया गया तो यह सहन नहीं किया जाएगा. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य सरकार को शुक्रवार तक अस्पताल के बजट आवंटन का ब्योरा जमा कराने का आदेश दिया है.
दो डॉक्टरों और एक वकील ने की थी शिकायत
हाई कोर्ट से इस मामले में दो अस्पतालों के डॉक्टरों और एक वकील ने शिकायत की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक वकील मोहित खन्ना ने हाई कोर्ट बेंच से नांदेड़ अस्पताल में मौत के मामलों को अपनी पहल पर सुनने का आग्रह किया था. हाई कोर्ट ने उन्हें याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया था. हालांकि इसके कुछ घंटे बाद हाई कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेने की घोषणा की. इसके लिए हाई कोर्ट ने दो अस्पतालों के डॉक्टरों की शिकायत का हवाला दिया, जिसमें बेड, स्टाफ और दवाइयों की कमी होने को मौत का कारण बताया गया था. एडवोकेट मोहित खन्ना ने बाद में हाई कोर्ट के सामने उन 18 मौत का भी मुद्दा उठाया, जो छत्रपति संभाजीनगर (पहले औरंगाबाद) के एक सरकारी अस्पताल में हुई थीं. इनमें एक नवजात बच्चा भी शामिल था.
नांदेड़ अस्पताल की सफाई व्यवस्था पर उठे थे सवाल
नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की सफाई व्यवस्था को लेकर बड़े सवाल खड़े हुए थे. ये सवाल अस्पताल में गंदगी को लेकर आईं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के बाद उठे थे. इसके बाद शिवसेना (शिंदे) के सांसद हेमंत पाटिल भी अस्पताल परिसर में पहुंचे थे. अस्पताल के टॉयलेट्स में भारी गंदगी देखकर सांसद भड़क गए थे और उन्होंने नाराजगी की स्थिति में अस्पताल के डीन को बुलाकर उससे टॉयलेट झाड़ू लेकर साफ करने को कहा था. सांसद ने झाड़ू लेकर टॉयलेट साफ भी किए थे.
मुख्यमंत्री और अस्पताल प्रबंधन ने नकारी थी दवाइयों की कमी की बात
नांदेड़ अस्पताल में इतनी बड़ी संख्या में मरीजों की मौत का कारण दवाइयों की कमी को बताया जा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अस्पताल प्रबंधन ने दवाइयों की कमी होने का बात गलत बताई है. शिंदे ने बुधवार को इस मुद्दे पर राज्य कैबिनेट की बैठक भी बुलाई थी. उन्होंने कहा था कि सरकार इन सभी मौत को बेहद गंभीरता से लिया है.
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