Video: हाथी पर चढ़ गए Navjot Singh Sidhu, मोदी सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 19, 2022, 05:25 PM IST

Navjot Singh Sidhu

Navjot Sindh Sidhu News: नवजोत सिंह सिद्धू ने गुरुवार को पटियाला में केंद्र सरकार के खिलाफ बढ़ती महंगाई को लेकर प्रदर्शन किया.

डीएनए हिंदी:पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया. सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को साल 1988 के एक रोडरेज मामले में एक साल की सजा सुनाई. जिस समय सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को सजा सुनाई उससे कुछ देर पहले उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ महंगाई को लेकर प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में नवजोत सिंह हाथी पर बैठकर विरोध जताते नजर आए.

उन्होंने पत्रकारों से कहा कि महंगाई बढ़ने से गरीबों, किसानों, मजदूरों और मध्यम वर्गीय परिवारों के बजट पर असर पड़ा है. नवजोत सिंह सिद्धू ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन. महंगाई से किसानों, मजदूरों, मध्यम वर्ग के परिवारों के बजट पर असर पड़ा है. भोजन, आवास, परिवहन और स्वास्थ्य देखभाल की लागत में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है...."

सजा सुनाए जाने के बाद सुखजिंदर रंधावा ने किया हमला
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गई सजा जाने के बाद पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा ने नवजोत सिंह सिद्धू पर बड़ा हमला बोला.उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कोई चैलेंज नहीं कर सकता है. सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने जो नुकसान कांग्रेस पार्टी को पहुंचाया है उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता. जो कांग्रेस पार्टी नहीं कर पाई, वह आज सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया. मैंने फरवरी में राहुल गांधी और सुनील जाखड़ से नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी से निकालने के लिए कहा था."

1988 में क्या हुआ था?
अभियोजन पक्ष के अनुसार, नवजोत सिंह सिद्धू और उनके सहयोगी रूपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में शेरांवाला गेट क्रॉसिंग के पास एक सड़क के बीच में खड़ी एक जिप्सी में थे. उस समय गुरनाम सिंह और दो अन्य लोग पैसे निकालने के लिए बैंक जा रहे थे. जब वे चौराहे पर पहुंचे तो मारुति कार चला रहे गुरनाम सिंह ने जिप्सी को सड़क के बीच में पाया और उसमें सवार सिद्धू तथा संधू को इसे हटाने के लिए कहा. इससे दोनों पक्षों में बहस हो गई और बात हाथापाई तक पहुंच गई. गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई. सितंबर 1999 में निचली अदालत ने सिद्धू को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया था. हालांकि, उच्च न्यायालय ने फैसले को उलट दिया और दिसंबर 2006 में सिद्धू तथा संधू को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया.

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