Navjot Singh Sidhu आज करेंगे सरेंडर, 34 साल पुराने मामले में मिली है एक साल की सजा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 20, 2022, 06:47 AM IST

Navjot Singh Sidhu

Sidhu Road Rage Case: सिद्धू 1988 में हुए रोड रेज केस में सजा सुनाई गई है. इस हादसे में एक शख्स की मौत हो गई थी.

डीएनए हिंदीः पूर्व क्रिकेटर और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में एक साल की सजा सुनाई है. जिस मामले में उन्हें सजा सुनाई गई है, वह 34 साल पुराना है. सिद्धू आज सरेंडर कर सकते हैं. जानकारी के मुताबिक सिद्धू ने पटियाला जेल को चुना है, जो पंजाब की दूसरी जेलों की तुलना में अधिक सुरक्षित और साफ मानी जाती है. सूत्रों के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू और उनके परिवार के सदस्य भविष्य की कार्रवाई के लिए अपने वकीलों से सलाह ले रहे हैं. सिद्धू सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका (Curative Petition) भी दाखिल कर सकते हैं.

क्यों सुनाई गई नवजोत सिंह सिद्धू को सजा
अभियोजन पक्ष के अनुसार, नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) और उनके सहयोगी रुपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में शेरांवाला गेट क्रॉसिंग के पास एक सड़क के बीच में खड़ी एक जिप्सी में थे. उस समय गुरनाम सिंह और दो अन्य लोग पैसे निकालने के लिए बैंक जा रहे थे. जब वे चौराहे पर पहुंचे तो मारुति कार चला रहे गुरनाम सिंह ने जिप्सी को सड़क के बीच में पाया और उसमें सवार सिद्धू तथा संधू को इसे हटाने के लिए कहा.

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इससे दोनों पक्षों में बहस हो गई और बात हाथापाई तक पहुंच गई. गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई. निचली अदालत ने सितंबर 1999 में नवजोत सिंह सिद्धू को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया. हालांकि दिसंबर 2006 में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए सिद्धू और संधू को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत दोषी ठहराया. उच्च न्यायालय ने दोनों को तीन-तीन साल कैद और एक-एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.

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कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को दोषी ठहराया था. कोर्ट ने मई 2018 में सिद्धू को मामले में 65 वर्षीय गुरनाम सिंह को "जानबूझकर चोट पहुंचाने" के अपराध का दोषी ठहराया था, लेकिन 1,000 रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था. जिसके बाद मृतक के परिवार ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी. जिसपर आज पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, "हमें लगता है कि रिकॉर्ड में एक त्रुटि स्पष्ट है.... इसलिए, हमने सजा के मुद्दे पर पुनर्विचार आवेदन को स्वीकार किया। लगाए गए जुर्माने के अलावा, हम एक साल के कारावास की सजा देना उचित समझते हैं."

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